चंडीगढ़, 17 फरवरी (ट्रिन्यू)
पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे और एसवाईएल निर्माण को लेकर चल रहे विवाद के बीच हरियाणा सरकार ने राजस्थान की ‘प्यास’ बुझाने के लिए कदम आगे बढ़ा दिए हैं। राजस्थान में यमुना के पानी की आपूर्ति होगी। हालांकि यह पानी बरसात के दिनों में ही राजस्थान जाएगा। शनिवार को नई दिल्ली में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में दोनों राज्यों के बीच समझौता हुआ।
इस मौके पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मौजूद रहे। तीनों के बीच काफी लम्बी बातचीत चली। बताते हैं कि इस दौरान मनोहर लाल ने केंद्रीय मंत्री के सामने एसवाईएल नहर का मुद्दा भी उठाया। इस मुद्दे को लेकर शेखावत की अध्यक्षता में पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच चंडीगढ़ में बैठक भी हो चुकी है। इस बैठक में पंजाब के सीएम भगवंत मान दो-टूक कह चुके हैं कि पंजाब के पास किसी को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।
बहरहाल, हरियाणा अब यमुना नदी का पानी राजस्थान को देने को तैयार हो गया है। बरसात के दिनों में कितना पानी अतिरिक्त होता है और इसे किस माध्यम से राजस्थान भेजा जाएगा। इसके लिए दोनों राज्यों के अधिकारी कार्ययोजना तैयार करेंगे। पश्चिमी यमुना की क्षमता पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि हरियाणा यमुना से दिल्ली को उसके हिस्से का पानी पहले हुए समझौते और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार देता रहेगा। इसमें कोई कटौती नहीं होगी। इसमें हरियाणा को कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा है।
यमुना का यह पानी राजस्थान को दक्षिण हरियाणा की तरफ से दिया जाएगा और राजस्थान इस पानी का स्टोरेज करेगा ताकि पीने के काम आ सके। राजस्थान में पानी की कमी है, इसलिए राजस्थान के साथ हरियाणा ने यह समझौता किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के बाद हरियाणा और अब राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद वहां के मुख्यमंत्री भजन लाल ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के माध्यम से यह प्रस्ताव दिया गया था।
इस प्रस्ताव को हरियाणा ने मान लिया है क्योंकि इसमें हरियाणा को कोई नुकसान नहीं बल्कि उसका हित ही है।
इस तरह राजस्थान जाएगा पानी
मीटिंग में हरियाणा ने तय किया कि हथिनीकुंड से अपनी जरूरत का पानी लेने के बाद अतिरिक्त बचे हुए पानी को राजस्थान भेजा जाएगा। पानी की यह आपूर्ति हरियाणा के बॉर्डर इलाके में की जाएगी। हथिनी कुंड बैराज पर पानी रोकने की क्षमता से अधिक पानी को राजस्थान को दिया जाएगा। पिछले 20 साल से यह सुझाव राजस्थान की तरफ से दिया जा रहा था, लेकिन किसी ने इस पर पहल नहीं की। राजस्थान और हरियाणा ने अब इस पर काम शुरू कर दिया है। एमओयू के बाद हथिनी कुंड बैराज से चार पाइप लाइनें निकाली जाएंगी। तीन लाइन राजस्थान जाएंगी और एक पाइप लाइन हरियाणा के लिए होगी। समझौते को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते के बाद हरियाणा को कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा है। बरसात के दिनों में कितना पानी अतिरिक्त होता है और इसे किस माध्यम से राजस्थान भेजा जाएगा। इसके लिए दोनों राज्यों के अधिकारी कार्ययोजना तैयार करेंगे।
हरियाणा में बगैर मंजूरी के नहीं चलेंगे कोचिंग इंस्टीट्यूट
चंडीगढ़ (ट्रिन्यू): हरियाणा सरकार प्रदेश में अवैध रूप से चल रहे कोचिंग सेंटरों पर अब लगाम लगाने जा रही है। प्रदेश में अब बगैर मंजूरी के कोई भी कोचिंग सेंटर नहीं चल सकेगा। 20 फरवरी से शुरू होने जा रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सरकार हरियाणा कोचिंग इंस्टीट्यूट (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल 2024 पेश करने जा रही है। बिल में कमर्शियल कोचिंग इंस्टीट्यूट पर अंकुश लगाने को लेकर कई मानक तय किए गए हैं। प्रदेश के उच्चतर शिक्षा विभाग की ओर से कोचिंग इंस्टीट्यूट पर शिकंजा कसने के लिए कंट्रोल और रेगुलेशन का ड्राफ्ट तैयार करके सरकार को भेज दिया गया है। बिल के अनुसार, हरियाणा में अब कोई भी कोचिंग इंस्टीट्यूट बिना रजिस्ट्रेशन नहीं चल पाएगा। साथ ही परीक्षा के दिनों में छात्रों पर बढ़ते मानसिक दबाव को कम करने के लिए प्रत्येक इंस्टीट्यूट में साइक्लोजिस्ट (मनोवैज्ञानिक) रखना अनिवार्य होगा। होगा। इंस्टीट्यूट स्टूडेंट्स को अच्छे नंबर दिलाने वाले वादे का प्रचार भी नहीं कर सकेंगे। इसके लिए सरकार की ओर से गाइडलाइन तय कर ली गई हैं। इसमें लोकल लेवल पर इंस्टीट्यूट की मनमानी रोकने के लिए कमेटी बनाने का लॉ दिया गया है। बिल के अनुसार कोचिंग इंस्टीट्यूट अपने स्टूडेंट्स से अच्छे नंबर दिलाने का वादा नहीं करेगा। कोचिंग संस्थानों को अपने केंद्रों में दी जाने वाली कोचिंग की गुणवत्ता या कोचिंग में प्रस्तावित सुविधाओं या हासिल किए गए परिणाम या कक्षाओं का हिस्सा रहे छात्रों के बारे में किसी भी दावे से जुड़ा गुमराह करने वाला प्रचार नहीं करना होगा।