चंडीगढ़, 18 नवंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि केंद्र सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया है। हमें इस पैकेज का लाभ उठाने के लिए अपने सभी संसाधनों का सदुपयोग करना होगा। मुख्यमंत्री ने यह बात बुधवार को यहां हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद एवं स्वदेशी स्वावलम्बन न्यास द्वारा चलाए जा रहे ‘आत्मनिर्भर हरियाणा’ कार्यक्रम से जुड़ी एक बैठक में कही। इस दौरान ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की तर्ज पर हरियाणा को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में विस्तृत कार्ययोजना पेश की गई।
मनोहर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री शनरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ का विजन देश के सामने रखा है। यह विजन स्लोगन मात्र न होकर एक बड़ा लक्ष्य है जिसका क्षेत्र भी व्यापक है। उन्होंने कहा कि उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा प्रदेश के सभी 22 जिलों में उनकी विशिष्टता के अनुरूप 22 कलस्टर बनाने की घोषणा की गई है। इसलिए इस कार्यक्रम से जुड़े पक्षों को कृषि तथा उद्योग से संबंधित योजना बनाते समय इन विभागों के साथ भी समन्वय स्थापित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर हरियाणा’ के तहत योजनाएं बनाते समय कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले युवाओं के साथ-साथ, पढ़ाई पूरी कर चुके ऐसे नौजवानों पर भी फोकस करना आवश्यक है, जो अभी तक अपने पैरों पर खड़े नहीं हुए हैं। इसके तहत युवाओं को हर महीने 100 घंटे काम के बदले 9 हजार रुपये मानदेय दिया जाता है। योजना के तहत लगभग 2 लाख युवाओं ने अपना पंजीकरण करवाया है। बैठक के दौरान हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के चेयरमैन प्रोफेसर बृज किशोर, गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ टंकेश्वर, कुरुक्षेत्र विवि के कुलपति प्रो़ सोमनाथ, जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि (वाईएमसीए), फरीदाबाद के कुलपति प्रोफेसर दिनेश कुमार, ओपी जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजकुमार, बलराम और डॉक्टर राजेश ने पीपीटी के माध्यम से आत्मनिर्भर हरियाणा के लक्ष्य को हासिल करने की विस्तृत कार्ययोजना पेश की।
हर नागरिक का जुटाएंगे डाटा
सीएम ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने यहां एक एलूमनी सैल भी बनाना चाहिए। इसमें दो वर्ग बनाए जाएं। एक वर्ग में ऐसे लोगों को शामिल किया जाए जो आत्मनिर्भर बन चुके हैं जबकि दूसरे में उन लोगों को शामिल किया जाए जो अभी तक अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाए हैं। राज्य सरकार ने परिवार पहचान पत्र के नाम से एक बड़ा कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत हर नागरिक और हर परिवार का डॉटा जुटाया जा रहा है। इसका इस्तेमाल लोगों की जरूरत के हिसाब से योजनाएं बनाने के लिए किया जाएगा।