प्रथम शर्मा/ हप्र
झज्जर, 25 जुलाई
भारत और पाकिस्तान की सेनाओं की बीच वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारत ने विजय हासिल की। करगिल का युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला। करगिल युद्ध में झज्जर जिले के 11 जवान शहीद हुए थे। इस युद्ध में अनेक सैनिकों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय सीमाओं की रक्षा के लिए अपने जांबाज होने का सबूत दिया। झज्जर जिले के गांव खेड़ी खुम्मार के रहने वाले प्रवीण यादव भी करगिल युद्ध का हिस्सा थे। आॅपरेशन विजय के दौरान उनके हाथ और पांव में चोट लगी और दोनों अंगों ने शरीर का साथ छोड़ दिया। शादी के बंधन में बंधने से पहले ही उनकी सगाई टूट गई,लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। हालांकि आज प्रवीण की पत्नी और परिवार है। वे अपने बेटे को सेना में जाने के लिये प्रेरित करते हैं। प्रवीण यादव ने बताया कि उनके ताऊ और ताऊ के बेटे पहले से ही सेना में थे। उन्हें देखकर ही उन्होंने सेना में जाने का मन बनाया था। 1997 में उनकी पोस्टिंग हो चुकी थी और 1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान उसे चोट लगी। प्रवीण का कहना है कि चोट लगने के बाद चंडीगढ़ से मुंबई शिफ्ट किया गया लेकिन उस दौरान उनकी सगाई भी टूट गई। क्योंकि उस वक्त उन्होंने शादी से इनकार कर दिया था। उसके बाद परिवार और दोस्तों का मुझे पूरा सहायोग मिला। बाद में शादी भी हो गई। आज दिव्यांग होने की वजह से परिवार ही उन्हें भोजन खिलाता है।
प्रवीण कहते हैं कि परिवार को उन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार से 6 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिली थी। वहीं हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार से कुल मिलाकर 15 लाख की सहायता मिली। फौज में पूरी सेवा नहीं कर पाने का उन्हें दुख है, लेकिन करगिल विजय पर वे आज भी गर्व महसूस करते हैं। प्रवीण कहते हैं कि वे केवल 5 वर्ष 9 महीने की सर्विस ही कर पाये। प्रवीण का कहना है कि वह अपने बेटे को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यदि उनका बेटा सेना में भर्ती होता है तो उनके परिवार को बहुत खुशी होगी।