अरविंद शर्मा/निस
जगाधरी, 12 मई
गर्मी बढ़ने के साथ ही अब मलेरिया के केस आने का खतरा भी बढ़ गया है। इससे बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग भी चौकस दिख रहा है। हर माह एक से 10 तारीख तक रेपिड फीवर सर्वे करवाया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार इसके तहत दो लाख 27 हजार 473 घरों का सर्वे किया। इस सर्वे में पांच हजार 350 मरीज बुखार के मिले। इनकी मौके पर ही स्लाइड बनाकर जांच की गई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के अनुसार इस साल में अभी तक किसी में भी मलेरिया का लक्षण नहीं मिला।
जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2027 तक जिले को मलेरिया से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में उसने काम तेजी से करना शुरू कर रखा है। गत दो वर्षों की बात करें तो मलेरिया पर काफी हद तक अंकुश लगा है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इन दो वर्षों में महज सात मरीज ही मलेरिया के मिले थे, लेकिन अभी खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। इसके लिए ही स्वास्थ्य विभाग रैपिड फीवर सर्वे कर रहा है। यह सर्वे अक्तूबर महीने तक चलेगा। मलेरिया का लारवा साफ पानी में पनपता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर जांच कर रही हैं।
कुछ इलाकों पर रहेगा विशेष फोकस : डीसीएमओ
मलेरिया से बचाव को लेकर प्रतापनगर क्षेत्र में विभाग का इस बार भी विशेष फोकस है। पिछले वर्ष प्रतापनगर खंड के भंगेड़ा, बक्करवाला, प्रतापनगर गांव में मलेरिया के मरीज मिले थे। जिले में 506 तालाबों में भी गंबुजिया मछलियां छोड़ी जाएंगी। डिप्टी सिविल सर्जन मलेरिया डा. सुशीला सैनी ने बताया कि मलेरिया से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मलेरिया से बचाव के लिए रेपिड फीवर सर्वे चल रहा है। एंटी लारवा स्प्रे शुरू किया जाएगा। इसके तहत उन क्षेत्रों में टीम जाएंगी, जहां पर गत वर्ष में मलेरिया के मरीज मिले थे। जिस घर, दुकान आदि में पानी में मच्छर का लारवा मिलता है, उसके मालिक को नोटिस देकर जवाब तलबी की जाती है। डा. सैनी ने बताया कि गत माह शुरू हुआ रेपिड फीवर सर्वे अक्तूबर तक चलेगा।