चंडीगढ, 17 नवंबर (ट्रिन्यू)
प्रदेश के 6 जिलों में बढ़ते क्राइम ग्राफ से खफा गृह मंत्री अनिल विज ने पुलिस अधीक्षकों से जवाब मांग लिया है। पुलिस महानिदेशक की ओर गृह विभाग में पहुंची रिपोर्ट में कई जिलों में गंभीर श्रेणी के अपराध बढ़ने की जानकारी मिली थी। गृह मंत्री की ओर से मांगे गए जवाब पर पुलिस अधीक्षकों को खुद ही अपनी स्थिति साफ करनी होगी। जिला पुलिस अधीक्षकों को एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट भेजने को कहा गया है, ताकि उसके आधार पर सरकार कोई फैसला ले सके।
डीजीपी पीके अग्रवाल और गृह सचिव राजीव अरोड़ा की कार्यप्रणाली से गृह मंत्री अनिल विज संतुष्ट हैं, लेकिन आधा दर्जन से ज्यादा जिले ऐसे हैं, जहां अपराध बहुत अधिक बढ़ गए हैं। अपराध बढ़ने का आंकड़ा हालांकि करीब एक दर्जन जिलों में सामने आया है, लेकिन उन्ह पुलिस अधीक्षकों से जवाब मांगा गया है, जहां पर गंभीर श्रेणी के अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। अनिल विज ने फिलहाल इन जिलों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर उन्हें सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
विज ने गृह सचिव को आदेश दिए हैं कि चिन्हित पुलिस अधीक्षकों से उनका जवाब मंगवाकर पेश किया जाए, ताकि वह समझ सकें कि कप्तानों ने अपराध बढ़ने की क्या वजह बताई। साथ ही उन्हें इन अपराधों को रोकने की दिशा में किए जाने वाले प्रयासों की जानकारी देने को भी कहा गया है। गृह मंत्री ने कहा कि राज्य में अपराध खासकर महिलाओं व बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। संभावना जताई जा रही है कि इस माह के अंत में गृह मंत्री सभी पुलिस अधीक्षकों की बैठक भी ले सकते हैं। पूर्व में यह बैठक होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया था।
4500 एसपीओ का कार्यकाल बढ़ा
विभिन्न जिलों में कार्यरत 4500 स्पेशल पुलिस आफिसर है। गृह मंत्री ने इस संबंध में फाइल अपनी स्वीकृति के साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भेज दी है। हरियाणा सरकार ने अनुबंध के आधार पर विभिन्न जिलों में एसपीओ नियुक्त कर रखे हैं। अनिल विज ने बताया कि साल दर साल इन एसपीओ का अनुबंध बढ़ाया जाता है। हरियाणा स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल के लिए अधिकारियों के नाम पर स्थिति साफ नहीं होने की वजह से गृह मंत्री अनिल विज ने फाइल लौटा दी है। हरियाणा पुलिस द्वारा एक डीएसपी स्तर के अधिकारी का नाम अनुमोदित किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनने वाली हरियाणा स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल में विभिन्न विभागों के राजपत्रित अधिकारियों को लिया जाता है। गृह विभाग द्वारा गृह मंत्री को भेजी इस फाइल में अधिकारियों के पदनाम दिए गए हैं, लेकिन नाम नहीं थे।