चंडीगढ़, 31 मई (ट्रिन्यू)
हरियाणा में कोरोना ने कितने बच्चों को अनाथ किया है, इसका पता अब शिक्षक लगाएंगे। स्कूल प्रबंधन कमेटी (एसएमसी) का भी इसमें सहयोग लिया जाएगा। बेशक, अभी स्कूल नहीं खुलेंगे लेकिन विद्यार्थियों का दाखिला स्कूलों में शुरू हो रहा है। सरकारी स्कूलों में ड्रापआउट रेट कम करने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है।
वे ऑनलाइन व ऑफलाइन अभिभावकों से बात करेंगे ताकि विद्यार्थियों के दाखिले सुनिश्चित किए जा सकें। सरकार ने कोरोना महामारी की वजह से माता-पिता को खोने वाले अनाथ बच्चों के पालन-पोषण व उनकी शिक्षा के लिए योजना की शुरुआत की है। इसके तहत ऐसे बच्चों का डाटा तैयार किया जाना है, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है। ऐसे बच्चों का भी डाटा तैयार होगा, जिन्होंने अपने माता-पिता में से किसी एक को खोया है और उसके कंधों पर पूरे परिवार के भरण-पोषण का भार था। ऐसे बच्चों की भी लिस्ट बनाई जा रही है, जिनके माता-पिता पहले से ही नहीं थे और अब उनके अभिभावक भी कोरोना की वजह से नहीं रहे।
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को सरकार ने यह काम सौंपा है। आमतौर पर हर स्कूल में कक्षा के मुखिया होते हैं। ऐसे में इनके लिए यह पता करना आसान रहेगा कि कोविड-19 के कारण कितने विद्यार्थी अनाथ हुए हैं। सभी स्कूलों से यह रिपोर्ट तैयार कर जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचेगी। जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा प्रदेश मुख्यालय पर रिपोर्ट भेजी जाएगी। इस काम में स्कूल प्रबंधन कमेटी के सदस्यों का भी सहयोग लिया जाएगा।
वहीं, सरकार ने स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला लिया है। मंगलवार से सभी स्कूल फिर से खुलेंगे। हालांकि विद्यार्थियों की 15 जून तक छुट्टियां बढ़ाई जा चुकी हैं। पचास प्रतिशत शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक स्टाफ को स्कूलों में आना होगा। स्कूल मुखिया 50 प्रतिशत के अनुपात से स्टाफ का रोस्टर जारी करेंगे। रोस्टर अनुसार ही स्टाफ को स्कूलों में आना होगा। शिक्षा विभाग ने सभी जिला व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को कोविड गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करवाने को कहा है।
ऑनलाइल जारी होंगे एसएलसी
कक्षा पांचवीं व आठवीं में जो विद्यार्थी पास हुए हैं, उन सभी विद्यार्थियों की जरूरत के अनुसार ऑनलाइन एसएलसी (स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट) जारी किया जाएगा, यही नहीं अगले विद्यालय को सूचित किया जाएगा। कोई भी विद्यार्थी ड्रॉपआउट न हो, इसके लिए माता-पिता से ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से संपर्क किया जाएगा। माता-पिता की काउंसलिंग की जाएगी, समन्वय व सहयोग भी किया जाएगा। शिक्षकों की हॉजिरी ‘अवसर’ एप के जरिये लगेगी।