तरुण जैन/ हप्र
रेवाड़ी, 26 अप्रैल
लोकसभा व विधानसभा चुनावों में जिस जाति का ज्यादा प्रभाव होता है, पार्टियां अधिकांशतय उसी जाति के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारती है। लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब व्यक्तित्व देखकर प्रत्याशी तय किए जाते थे और वे जीत भी जाते थे। देश में पहले आम चुनाव 1952 में यादव बाहुल्य रेवाड़ी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के घमंडी लाल बंसल ने जीत दर्ज कर पहला सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया था। उस समय इस लोकसभा क्षेत्र का नाम रेवाड़ी-झज्जर था।
1914 में पैदा हुए घमंडी लाल बंसल रेवाड़ी के निकटवर्ती कस्बा कनीना के रहने वाले थे। वे एमए, एलएलबी उच्च शिक्षाप्राप्त विद्वान थे और एक संभ्रांत परिवार से संबंध रखते थे। चुनाव में कुल मतदाता संख्या 382413 में से 246224 ने 64.4 प्रतिशत मतदान किया। बंसल ने 102435 मत प्राप्त कर जीत हासिल की, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी सीपीआई के प्रताप सिंह दौलता 98503 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे। 1957 के दूसरे चुनाव में रेवाड़ी को झज्जर, गुड़गांव और महेंद्रगढ़ तीन लोकसभा क्षेत्रों में बांट दिया गया। इस बार दौलता ने बंसल को लगभग 27 हजार मतों से हराकर हिसाब बराबर किया। 1962 के चुनाव में रेवाड़ी को महेंद्रगढ़ सीट में शामिल किया गया। राव गजराज सिंह सांसद निर्वाचित हुए, 1967 में भी यथा स्थिति बनी रही।
सामाजिक कार्यकर्ता राव नरेश चौहान राष्ट्रपूत ने कहा कि 1971 के चुनाव में ंएक बार फिर रेवाड़ी का भूगोल बदल गया। गुरुग्राम लोकसभा सीट तोड़कर उसे महेंद्रगढ़ संसदीय सीट में बदल दिया गया। राव बीरेंद्र सिंह अपनी विशाल हरियाणा पार्टी से सांसद निर्वाचित हुए। 1977 के छठे चुनाव में जनता पार्टी की लहर में अहीरवाल के राजा कहे जाने वाले राव बिरेंद्र सिंह को मनोहर लाल सैनी के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। 1980 के सातवें चुनाव में राव ने हार का बदला लेते हुए दूसरा चुनाव जीता।
1984 और 1989 के चुनाव में जीत हासिल कर राव बिरेंद्र ने अपनी जीत की हैट्रिक भी पूरी की। 1989 में रेवाड़ी को जिला बनने के बाद भी महेंद्रगढ़ सीट का हिस्सा ही बनाए रखा गया। 1991 के 10वें चुनाव में कर्नल राम सिंह ने राव को चौका मारने से रोक दिया। 1996 के चुनाव में भी कर्नल ने लगातार दूसरी जीत हासिल की। 1998 के चुनाव में राव के बेटे इंद्रजीत सिंह ने कर्नल रामसिंह को हराकर अपने पिता की हार का बदला लिया। लेकिन 1999 के मध्य अवधि चुनाव में कारगिल लहर के चलते राव इंद्रजीत सिंह को भाजपा प्रत्याशी डा. सुधा यादव ने पटकनी दी।
घमंडी लाल बंसल
2004 के 14वें लोकसभा चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह ने चुनाव जीत कर वापसी की। 2009 के चुनाव में एक बार फिर रेवाड़ी का भूगोल बदल गया और इसे फिर से गुरुग्राम सीट के नीचे लगाया गया। राव ने 2014 व 2019 के चुनाव जीत कर चौका लगाया। 2024 के लोकसभा चुनावों में राव इंद्रजीत सिंह को भाजपा ने तीसरी बार गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है। नरेश चौहान ने एक बार फिर रेवाड़ी को लोकसभा सीट बनवाने मांग की है।