भिवानी, 7 सितंबर (हप्र)
पिछले 10 साल से राज्य में भाजपा की सरकार है। इस कार्यकाल में कर्मियों की ना केवल उपेक्षा की गई है, बल्कि डराने की भी कोशिश की गई। पुरानी पेंशन बंद करके एनपीएस लाए अब उसे यूपीएस में बदलना चाहते हैं। यह कर्मियों से इकट्ठा किये हुए धन को रिटायर्मेंट पर एक मुश्त भुगतान करने की बजाए पेंशन में बदलने की ठगी का फॉर्मूला है। कर्मचारी सिर्फ विधायक व मंत्रियों की तर्ज पर ओपीएस चाहता है। लाखों कच्चे कर्मियों को पक्का करके पूरा वेतन, भत्ते, पदोन्नति देने की बजाए कथित सेवानिवृत्ति तक न हटाने की गारंटी, उम्र भर शोषण करने की गारंटी से अधिक कुछ नहीं है। सबको पक्का करने, सवा दो लाख खाली पद और आबादी की जरूरतों को जोड़ें तो कम से कम दस लाख अकेडमिक मैरिट से पक्की भर्ती करके पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी दी जा सकती थी।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा संबंद्ध अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ जिला कमेटी की ओर से सूरजभान जटासरा, सहदेव रंगा, सुरेंद्र रोहिल्ला, सरोज शास्त्री, सुमन रानी, लोकेश कुमार ने बताया कि आठवें वेतन आयोग व वेतन विसंगतियों पर भी सरकार का नकारात्मक रूख रहा है। अब विधानसभा के चुनाव हैं और कर्मचारियों में भारी गुस्सा है। इस वक्त सरकार का हिसाब-किताब करना तो बनता है। इसके अलावा किसी से बात न करना, दमन की कार्रवाइयां, यूनियनों को जाति-धर्म के नाम पर तोड़ना आदि साजिश रची गई है।
उन्होंने कहा कि इस बार सभी विभागों के कर्मियों ने एकजुट होकर निर्णय लिया है कि अब वोट की चोट कर अपना हक मांगेंगे।