पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 1 फरवरी
कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में आई खापों ने धरनास्थल पर चहल-पहल बढ़ा दी है। सोमवार को सर्वजातीय आंतिल चौबीसा खाप ने समर्थन दिया और स्थाई तौर पर धरनास्थल पर तंबू गाड़ दिया है। किसानों के आंदोलन को आंतिल चौबीसा हल निकलने तक समर्थन देते हुए लंगर जारी रखेगा। इसके साथ ही खाप की ओर से भिगान टोल को फ्री कराने का भी निर्णय लिया गया है।
सरोहा खाप ने भी किसानों के समर्थन में ट्रैक्टर मार्च निकाल कर समर्थन दिया। खाप चौधरी धरनास्थल पर पहुंचे और कहा कि अब नियमित रूप से वह किसानों के धरने में शामिल रहेंगे। सर्व जातीय आंतिल चौबीसा के ग्रामीण ट्रैक्टरों पर सवार होकर पहुंचे। यहां से अब डेरा तभी उठेगा, जब किसानों की समस्या का समाधान हो जाएगा। खाप के पदाधिकारियों ने सभी 24 गांवों में एक-एक सदस्य लेकर कमेटी का गठन किया है, जो भंडारे से लेकर धरने की पूरी व्यवस्था संभालेगी।
साथ ही बुधवार को सुबह 10 बजे साउथ प्वाइंट के पास खाप की महापंचायत भी बुलाई गई है। इसमें कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। धरनास्थल पर बिजेंद्र आंतिल ने बताया कि इस धरने में हर जाति और वर्ग का व्यक्ति शामिल है और सबसे अपनी सामर्थ्य के अनुसार चंदा भी दिया है, ताकि व्यवस्था का संचालन किया जा सके। सोमवार को यहां प्रीतमपुरा मोड़ के पास जीटी रोड पर सर्वजातीय आंतिल चौबीसा खाप की पंचायत बुलाई गई। इसकी अध्यक्षता प्रधान हवा सिंह आंतिल ले की। पंचायत में सभी गांवों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि खाप किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी और सहयोग भी करेगी। इसके लिए सबसे पहला कदम बुधवार को भिगान टोल को फ्री करवाने के रूप में उठाया जाएगा। पंचायत में जयभगवान, सूबे कुराड़, संजय खेवड़ा, हरिप्रकाश, रमेश, सतीश कौशिक, महाबीर आंतिल आदि मौजूद रहे।
लगातार बढ़ रही है धरने पर भीड़
कुंडली बॉर्डर पर लगातार भीड़ बढ़ रही है। खास बात यह है कि सोनीपत जिले से अचानक ग्रामीणों की संख्या बढ़ी है। सभी खापों के आह्वान के बाद यहां रोजाना 50 से 100 ट्रालियां पहुंच रही हैं। सोमवार को सरोहा खाप के सदस्य भी प्रधान रणधीर सरोहा व अशोक सरोहा के नेतृत्व में कुंडली धरने पर पहुंचे। सरोहा खाप ट्रैक्टर-ट्रालियों में राशन व अन्य सामान लेकर पहुंचे। खाप प्रतिनिधि अशोक सरोहा ने कहा कि सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा ले रही है, लेकिन किसान कानूनों को रद्द करवाए बिना डिगेंगे नहीं।