दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
फरीदाबाद, 25 सितंबर
फरीदाबाद संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाले नौ विधानसभा हलकों पर भाजपा हाईकमान की पैनी नजर है। सूत्रों का कहना है कि इस क्षेत्र में खुफिया तरीके से नजर रखी जा रही है। पार्टी नेतृत्व को यहां भितरघात होने की रिपोर्ट मिल चुकी है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व के पास विस्तृत रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। इसी के बाद नेतृत्व हरकत में आया है। वहीं, इस बार के चुनाव में यहां से सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ‘नेताजी’ की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।
बेशक, केपी गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी को टिकट नहीं दिलवा सके लेकिन पार्टी ने उनकी पसंद और सिफारिश पर नेताओं के टिकट काटकर उनकी जगह नये चेहरों को चुनाव मैदान में उतरा है। इन चारों सीटों की स्थिति यह है कि यहां केंद्रीय मंत्री को खुद जोर लगाना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मौजूदा विधायकों के अलावा जिन नेताओं की टिकट कटी है, वे अंदरखाने अभी भी नाराज बताए जाते हैं। यानी टिकट कटवाने में लगे जोर के बाद अब अपने पसंदीदा उम्मीदवारों का चुनाव भी खुद लड़ना पड़ रहा है। कृष्णपाल गुर्जर के कहने पर भाजपा नेतृत्व ने बड़खल से दो बार की विधायक और नायब सरकार में शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा की टिकट काटकर धनेश अदलक्खा को उम्मीदवार बनाया है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ हरियाणा के चेयरमैन रहे धनेश अदलक्खा विवादों में भी घिर चुके हैं। केपी गुर्जर के सबसे नजदीकियों में उनकी गिनती होती है। हालांकि सीमा त्रिखा पार्टी के फैसले को स्वीकार करते हुए चुनाव प्रचार में जुट चुकी हैं, लेकिन इसके बाद भी गुर्जर को इस सीट पर दिन-रात एक करनी पड़ रही है।
पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह ‘बाऊजी’ के बेटे विजय प्रताप सिंह को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। महेंद्र प्रताप सिंह की न केवल मजबूत पकड़ है बल्कि उनकी एक अलग तरह की छवि भी है। इसी वजह से विजय प्रताप सिंह ने चुनावी मैदान में आते ही मुकाबला दिलचस्प बना दिया। बड़खल सीट से और भी कई नेता टिकट मांग रहे थे लेकिन पार्टी ने स्थानीय सांसद की पसंद को सबसे ऊपर रखा है। ऐसे में इस सीट पर होने वाली हार-जीत अब सीधे तौर पर कृष्णपाल गुर्जर से जुड़ी है। एनआईटी से केपी गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी को टिकट दिलवाना चाहते थे। वहीं पूर्व विधायक नगेंद्र भड़ाना भी भाजपा टिकट के प्रबलतम दावेदारों में शामिल थे। गुर्जर अपने बेटे को तो टिकट नहीं दिलवा सके लेकिन नगेंद्र भड़ाना की बजाय अपने करीबी सतीश फागना को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। यहां कांग्रेस के मौजूदा विधायक नीरज शर्मा चुनावी मैदान में डटे हैं। नगेंद्र भड़ाना ने भाजपा छोड़कर इनेलो की टिकट पर ताल ठोकी हुई है। ऐसे में यहां मुकाबला रोचक हो गया है। भाजपा व इनेलो दोनों पार्टियों ने गुर्जर उम्मीदवार होने की वजह से वोटों के विभाजन का खतरा बढ़ गया है।
होडल सीट पर भी केंद्रीय मंत्री के लिये चुनौतियां
होडल से भाजपा के मौजूदा विधायक जगदीश नय्यर की टिकट पार्टी ने काट दी। उनकी जगह केंद्रीय मंत्री की पसंद से ही पूर्व विधायक रामरतन के बेटे हरेंद्र सिंह रामरतन को टिकट दिया है। यहां से कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान चुनाव लड़ रहे हैं। हरेंद्र सिंह रामरतन के लिए भी केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर को पसीना बहाना पड़ रहा है। इसके लिए उनके समर्थक दिन रात जुटे हुए हैं।
हथीन विधानसभा क्षेत्र
इसी तरह हथीन के मौजूदा विधायक प्रवीन डागर की टिकट कटवा कर गुर्जर ने अपने करीबी मनोज रावत को टिकट दिलवाया है। मनोज रावत का मुकाबला कांग्रेस के इजराइल खान से हो रहा है। इजराइल भूतपूर्व मुख्य संसदीय सचिव जलेब खान के बेटे हैं। इनेलो विधायक रहे केहर सिंह रावत भी हथीन से भाजपा टिकट के प्रबलतम दावेदारों में शामिल थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होंने भाजपा छोड़ दी और रावत ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के हालात बनते जा रहे हैं।
पार्टी हाईकमान ने लिया नोटिस
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फरीदाबाद संसदीय सीट के तीन हलकों में भितरघात की आशंका की खबर दिल्ली तक पहुंच गई है। तिगांव के मौजूदा विधायक राजेश नागर, फरीदाबाद से चुनाव लड़ रहे पूर्व उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री विपुल गोयल और पलवल के उम्मीदवार गौरव गौतम के हलकों में अंदरखाने बड़ा ‘खेल’ होने का डर है। माना जा रहा है कि दो नेताओं की ओर से तो पार्टी नेतृत्व को इस बारे में पहले ही सूचित कर दिया है। इतना ही नहीं, भितरघात करने वालों के नाम भी नेतृत्व को दिए जा चुके हैं। पार्टी नेतृत्व ने इस पर कड़ा नोटिस लेते हुए न केवल स्थानीय नेताओं को दो-टूक संदेश पहुंचा दिया है बल्कि अपने स्तर पर सभी सीटों पर पैनी नजर भी रखनी शुरू कर दी है।