हिसार (हप्र)
वरिष्ठ नागरिकों की संस्था वानप्रस्थ की बैठक में हरियाणवी लोकसंगीत की विभिन्न विधाओं की धूम रही। सांग, रागनी, बम्ब लहरी, आल्हा, भजन, वीररस और विरह गीतों सहित, सावन और फागण के गीतों की प्रस्तुति का यह कार्यक्रम डॉ. सुरेंद्र गहलावत व डॉ. इन्दु गहलावत की पोती के जन्मोत्सव के अवसर पर सीनियर सिटिजन क्लब में आयोजित किया गया था। नन्ही परी रोमिता को आशीर्वाद रूप में पुष्पा शर्मा ने एक गर्भवती स्त्री के मनोभाव टटीहरी पक्षी के माध्यम से एक नए रंग के लोकगीत के रूप में प्रस्तुत किए जिसके बोल थे-हारे ए मुंडेर पै बोलै ए टटीरी, घूंटी देउं घूंटी देउं बोलै ए टटीरी, जै मेरे छोरी होजा, ससुर मेरा खुश हो के, तेरी सोने की चोंच घड़ा देगा, म्हारे मंडेरे पे बोले ऐ टटीरी।’ दूरदर्शन के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह ने हरियाणवी लोकसंगीत की विभिन्न विधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी और इसके साथ ही लोकगीतों का सिलसिला शुरू हो गया जो लगभग अढ़ाई घंटे चला। प्रो. दीप पुनिया ने एक से बढ़कर एक सुंदर लोकगीत पेश किए। डॉ. कृष्णा हुड्डा, बलवंत सिंह जांगड़ा, प्रेम केडिया ने पंडित लखमी चंद की लोकप्रिय रागनी पेश की। वानप्रस्थ के जनरल सेक्रेटरी डॉ. जेके डांग ने नवागंतुक रोमिता के लिए आशीर्वाद रूप में अपनी कविता पेश की।