बिजेंद्र सिंह/हप्र
पानीपत, 9 जून
पानीपत के सनौली रोड स्थित गांव निंबरी के प्रगतिशील किसान जयवीर मलिक ने अपने खेत में एक एकड़ में अंजीर का बाग लगाया हुआ है। वह आर्गेनिक तरीके से अंजीर की खेती कर रहे हैं और जिला में वहीं एकमात्र किसान है जोकि अंजीर की खेती कर रहे हैं। अंजीर की आमदनी को देखकर अब जिला के दूसरे कई किसान भी इसकी खेती करने को लेकर प्रेरित हो रहे है। जिससे प्रगतिशील किसान जयवीर मलिक जिला पानीपत के दूसरे किसानों के लिये एक रोल माडल बन गये हैं। जयवीर मलिक ने आर्गेनिक विधि से खेती करने वाले यूपी के बिजनौर के किसान राहुल जवान से प्रेरित होकर हैदराबाद से डायना वैरायटी किस्म के 500 पौधे मंगवा कर एक एकड़ में अंजीर का बाग लगाया। अंजीर के पौधे पर 8-9 माह बाद फल लगना शुरू हो जाता है। पौधे पर जून-जुलाई में तो फल लगता है और अगस्त में अंजीर पकना शुरू होता है। पौधा सितंबर से लेकर नवंबर तक करीब तीन माह तक फल देता है। जयवीर मलिक के अनुसार एक पौधे पर औसतन 10-15 किलो अंजीर का फल लगता है और एक पौधा करीब 20 वर्ष तक फल देता है। जयवीर मलिक के बाग में पिछले वर्ष अंजीर की फसल की पैदावार अच्छी रही थी। इस बार अब अंजीर के पौधे पर फल लगने शुरू हो चुके हैं और जयवीर मलिक ने फलों की बिक्री के लिये यूपी की एक कंपनी से पहले से ही कांटेक्ट किया है।
बागवानी विभाग के डीएचओ डा. शार्दूल शंकर ने बताया कि जिन किसानों के पास दो-तीन एकड़ तक भूमि है, वे अंजीर की खंती करके परांपरागत खेती की बजाये करीब चार गुणा तक मुनाफा पा सकते हैं। विभाग द्वारा प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 25 लाख और उस पर 35 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। रिटेल आउटलेट के लिये भी विभाग 15 लाख व 35 प्रतिशत अनुदान देता है।
अंजीर के पत्तों को सुखाकर पीसने से बनती है चायपत्ती
जयवीर मलिक ने बताया कि अंजीर के पत्तों को सुखाकर पीसने से चायपत्ती तैयार होती है और उनका दावा है कि इसे पानी में उबाल कर पीने से शुगर कंट्रोल होता है और व्यक्ति का डाईजेस्टिव सिस्टम ठीक रहता है और कब्ज भी दूर होती है। राजस्थान व मध्यप्रदेश में अंजीर की खेती बहुत होती है। पानीपत के किसानों को भी इसकी प्रोसेसिंग व बिक्री को लेकर सरकार की मदद मिले तो काफी संख्या में किसान अंजीर की खेती को अपनाकर कई गुणा मुनाफा पा सकते हैं।