कैथल, 29 जून (हप्र)
श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास श्रीमन साक्षी गोपाल दास ने बताया कि इंद्रीयतृप्त प्रकार के लोग भगवान श्रीकृष्ण को नहीं पूजते। यह केवल देवी देवताओं की पूजा करते हैं। श्रीमद् भागवत के छठे स्कंद के 16वें अध्याय के 36वें से शलोक में भगवान कहते हैं कि इंद्रीयतृप्त लोग पशु के समान हैं, ऐसे लोगों का वैभव उस प्रकार नष्ट हो जाता है जिस प्रकार एक राजा का पद छिन जाने पर उसके अंतर्गत कार्य करने वाले सभी अधिकारी गणों के लिए उनका राजा व्यर्थ हो जाता है। जो व्यक्ति भगवान की भक्ति नहीं करता उस जीवात्मा को जन्म मृत्यु का भोगना पड़ता है। श्रीमद् भागवत में श्री शुकदेव गोस्वामी ने 9वें स्कंद में सूर्यवंश और चंद्रवंश का वर्णन मात्र दो ही श्लोक में कर दिया था भगवान कृष्ण के जन्म का वर्णन भी इन्हीं दो श्लोक में ही है। कथा में भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी महोत्सव को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया। कथा पंडाल में समिति के प्रधान दीपक अग्रवाल, राज गुलाटी, आशीष गर्ग, रामनिवास, संजय वाही, अमित गर्ग, संजीव धीमान, श्याम लाल वर्मा, रमेश कुमार, बलविंदर, नीरज गर्ग, रमेश चंद, सुमित ओबराय, सुरिंदर सिंधु व अन्य सभी सदस्य मौजूद थे।