अम्बाला शहर, 12 नवंबर (हप्र)
अम्बाला में आज हुए एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में जिला परिषद चेयरमैन राजेश कुमार लाडी की कुर्सी छिन गई। उनके खिलाफ रखा गया अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया और उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। मालूम हो कि राजेश लाडी ने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कर अपने घर कांग्रेस में वापसी की थी। उन्हें लगता था कि प्रदेश में एक बार फिर से कांग्रेस की सरकार आएगी लेकिन उनको यह दांव भारी पड़ गया और भाजपा ने पूर्ण बहुमत के साथ तीसरी बार सरकार बना ली। जिप चुनाव के बाद भाजपा उन्हें कांग्रेस से अपने साथ चेयरमैन बनाने की बात कहकर लाई थी। जिला परिषद चुनाव में बहुमत न होने के बावजूद तत्कालीन कुरुक्षेत्र सांसद एवं मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सैनी की सिफारिश पर राजेश कुमार लाडी को सर्वसम्मति से जिला परिषद का चेयरमैन बनाया गया था। तब चेयरमैन पद के दावेदार आम आदमी पार्टी के चिह्न पर चुनाव जीतने वाले मक्खन सिंह लबाना के खिलाफ पुलिस ने ऐन मौके पर कबूतरबाजी का केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। लबाना के जेल जाने के बाद ज्यादातर सदस्यों ने सर्वसम्मति से लाडी को चेयरमैन चुन लिया। हालांकि इस विधानसभा चुनाव के दौरान ही लाडी ने प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की संभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया था लेकिन इस दांव ने उनकी कुर्सी ही छीन ली। भाजपा के सदन में 7 सदस्य हैं। लाडी के भाजपा छोड़ने के बाद अम्बाला जिला परिषद के 15 में से 11 सदस्यों ने राजेश कुमार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग अम्बाला के उपायुक्त से की थी। इनमें भाजपा के 7 के अलावा मक्खन सिंह लबाना, गुरजीत प्रेमी, गुरदव सिंह की पुत्रवधू और काका कश्यप की पत्नी ने भाजपा के साथ मिलकर लाडी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
इसके बाद आज जिप की अहम बैठक बुलाकर चेयरमैन राजेश लाडी व वाइस चेयरमैन करनैल सिंह को लेकर सदस्यों की वोटिंग करवाई गई जिसमें वाइस चेयरमैन तो अपनी कुर्सी बचाने में सफल रहे, लेकिन चेयरमैन राजेश कुमार लाडी अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए। कुल 15 में से 11 सदस्यों ने चेयरमैन के खिलाफ वोट देकर उन्हें कुर्सी से उतार दिया। मक्खन सिंह लबाना, गुरजीत सिंह आदि सदस्यों का कहना है कि अगर चेयरमैन ने काम करवाए होते तो आज उन्हें कुर्सी से न हटाया जाता। वहीं अब नये चेयरमैन के चुनाव के लिए जल्द ही प्रशासन तारीख तय करेगा। मालूम हो कि हाल ही 4 नवंबर को 15 में से 11 सदस्यों ने डीसी से मुलाकात कर सदन की मीटिंग बुलाने का आग्रह किया था। कुर्सी बचाने के लिए लाडी को 2/3 यानी 10 सदस्यों की जरूरत थी लेकिन अभी तक उनके पास नाममात्र सदस्यों का ही समर्थन निकला।
विकास में हो रहा था भेदभाव : लबाना
जिप मेंबर मक्खन सिंह लबाना ने बताया कि चेयरमैन राजेश लाडी के कार्यकाल में विकास में भेदभाव हो रहा था। विकास राशि की बांट में भी भेदभाव बरता जाता रहा। इसी के चलते उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया। लाडी ने अपने लालच में पाला बदला था। जिप सदस्य गुरजीत प्रेमी ने कहा कि विकास के मामले में उनका वार्ड पिछड़ रहा था, उन्हें वार्ड के लिहाज से विकास राशि नहीं मिली। ज्यादातर सदस्य चेयरमैन की कार्यप्रणाली से खुश नहीं थे जो आज स्पष्ट हो गया है।