दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 23 जून
भाजपा हाईकमान का मनोहर में ‘विश्वास’ कायम है। उन्हें एक बार फिर सभी लोकसभा क्षेत्रों में ‘कमल’ खिलाने का टास्क मिला है। नेतृत्व के विश्वास के साथ मनोहर को मैरिट पर नौकरियों और विकास कार्यों में पारदर्शिता से बड़ी आस है। हाईकमान चाहता है कि 2019 की तरह इस बार भी संसदीय चुनावों में हरियाणा की सियासी जमीन भाजपा के लिए उपजाऊ साबित हो। यानी फिर से सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य तय किया है।
भाजपा के लिए अब यह जरूरी इसलिए भी हो गया है क्योंकि देशभर में समूचा विपक्ष एकजुट होने की मुहिम में है। ऐसे में बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने सभी प्रदेशों में चुनावी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय राजधानीndash; नयी दिल्ली से सटा होने की वजह से हरियाणा का राजनीतिक महत्व काफी बढ़ जाता है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जहां अब मिशन-2024 यानी आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट चुके हैं, वहीं उन्हें उन चुनौतियों से भी पार पाना होगा, जो इस बार उनके सामने आने वाली हैं। विपक्षी एकजुटता अगर होती है तो इसका हरियाणा में भी असर देखने को मिल सकता है। हालांकि अभी तो मुख्य मुकाबला कांग्रेस से ही होता नज़र आ रहा है। राहें कांग्रेस की भी उतनी आसान नहीं हैं। 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ चुके कांग्रेस के चार उम्मीदवार पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें फरीदाबाद से अवतार सिंह भड़ाना, हिसार से भव्य बिश्नोई, सिरसा से डॉ. अशोक तंवर और कुरुक्षेत्र से चौ. निर्मल सिंह शामिल हैं। कांग्रेस को इन चारों सीटों पर नये चेहरे तलाशने होंगे।
उधर, लोकसभा चुनावों तक हरियाणा की खट्टर सरकार का नौ साल से अधिक का समय पूरा हो चुका होगा। ऐसे में एंटी-इन्कमबेंसी जैसी नाराज़गी दूर करने का फार्मूला भाजपा को निकालना होगा। मुख्यमंत्री के ‘जनसंवाद’ कार्यक्रमों को इसी कवायद का हिस्सा माना जा रहा है। जनसंवाद में मुख्यमंत्री का फोकस भी मैरिट पर नौकरियां और पूरे प्रदेश का समान विकास रहता है। वैसे ‘हरियाणा एक-हरियाणवी एक’ और ‘सबका साथ-सबका विकास’ के नारे के साथ आगे बढ़ रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की ‘इमेज’ पर विपक्षी दल के नेता भी सवाल नहीं उठा पाए हैं। विधानसभा में भी कई ऐसे मौके देखने को मिले हैं, जब विपक्ष ने खुलेमन से कहा है कि मुख्यमंत्री की नीयत पर कोई संदेह नहीं।
चुनाव में अहम होती है छवि
चुनावों में नेताओं की छवि पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में बहुमत न मिलने पर भी पीएम नरेंद्र मोदी ने मनोहर की तारीफ की थी। मोदी खुद भाजपा के हरियाणा मामलों के प्रभारी रह चुके हैं। वह यहां के वोटर की सोच और नब्ज को अच्छे से समझते हैं। मोदी का मनोहर के प्रति ‘विश्वास’ ही है कि वह पार्टी के अंदर-बाहर की चुनौतियों से पार पाने में कामयाब रहते हैं।
एक लाख नौकरियां, इतनी ही और
पहले की सरकारों में भी नौकरियां बड़ा मुद्दा रही हैं। बेशक हरियाणा लोकसेवा आयोग और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की कुछ भर्तियां विभिन्न कारणों से विवादों में भी रही हैं, लेकिन इसके बाद भी मनोहर सरकार अभी तक के कार्यकाल में 1 लाख 4 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी देने में कामयाब रही है। अगले एक साल में इतनी और नौकरियां देने का लक्ष्य है। मैरिट पर नौकरियों को भाजपा बड़ा मुद्दा मानती है।