चंडीगढ़, 5 जून (ट्रिन्यू)
बदले हुए राजनीतिक हालात में इस बार केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की राह भी गुड़गांव संसदीय सीट पर मुश्किल हो गई थी। मेवात जिला के तीन विधानसभा हलकों नूंह, पुन्हाना और फिरोजपुर-झिरका से कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर को मिली लीड को तोड़ने में ही उन्हें पसीना बहाना पड़ा। हालांकि मेवात का हिसाब-किताब गुड़गांव जिला के चार विधानसभा हलकों गुड़गांव, बादशाहपुर, पटौदी व सोहना ने न केवल पूरा कर दिया बल्कि राव इंद्रजीत सिंह को लीड भी देने का काम किया। एक तरह से उन्हें सम्मानजनक जीत तक पहुंचाने में रेवाड़ी जिला के दो हलकों रेवाड़ी व बावल ने अहम भूमिका निभाई। इस संसदीय सीट से पूर्व में लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके राव इंद्रजीत सिंह अभी तक अच्छे मार्जन से चुनाव जीतते रहे हैं, लेकिन इस बार उन्हें कांग्रेस के राज बब्बर के मुकाबले 75 हजार 79 मतों से ही विजय हासिल हुई। बादशाहपुर और गुड़गांव विधानसभा हलके अगर साथ नहीं देते तो राव इंद्रजीत सिंह का जीतना मुश्किल हो जाता। मेवात जिला से कांग्रेस के राज बब्बर को कुल 2 लाख 58 हजार 434 मतों की लीड हासिल हुई। पूर्व परिवहन मंत्री आफताब अहमद ने पहले ही कह दिया था कि नूंह जिला से कांग्रेस को ढाई लाख से अधिक की लीड देकर भेजेंगे। आफताब अहमद के अलावा कांग्रेस विधायक मामन खान इंजीनियर और मोहम्मद इलियास से अपनी भूमिका सही से भी निभाई। हालांकि गुरुग्राम और रेवाड़ी जिला की इस सीट के अंतर्गत आने वाली सीटों पर राज बब्बर को उतना वोट नहीं मिल सकता था।
छठी बार सांसद बनने वाले पहले नेता
लोकसभा में छठी बार पहुंचने वाले राव इंद्रजीत सिंह हरियाणा के अकेले नेता हैं। गुड़गांव लोकसभा की सियासी पिच पर ही वे 2009 से नॉट-आउट चल रहे हैं। यह उनकी लगातार पांचवीं जीत है। पहली बार वे 1998 में महेंद्रगढ़ से सांसद बने थे। 1999 में चुनाव हार गए। 2004 में कमबैक करते हुए महेंद्रगढ़ से ही फिर संसद पहुंचे। इसके बाद 2009 में फिर कांग्रेस टिकट पर गुड़गांव से सांसद बने। 2014 और 2019 के बाद अब लगातार तीसरी बार भाजपा टिकट पर गुड़गांव से सांसद बने हैं। राव इंद्रजीत सिंह ने चुनावी राजनीति की शुरूआत 1977 में अपने पिता व भूतपूर्व सीएम बीरेंद्र सिंह की परंपरागत सीट जाटूसाना (अब कोसली) से की। पहली बार विधायक बने इंद्रजीत सिंह ने 1982, 1987, 1991 और 2000 में भी जाटूसाना से विधानसभा चुनाव जीता। 1986 से 1987 तक वे हरियाणा में खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री रहे। 1991 से 1996 तक भजनलाल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में वे कैबिनेट मंत्री रहे।