घरौंडा, 17 नवंबर (निस)
फरीदपुर गांव में मजदूरों की कमी के चलते 16 साल के एक नाबालिग को कथित तौर पर जबरन फैक्टरी में मशीन चलाने के लिए मजबूर किया गया। हादसे में मशीन में हाथ फंसने से बच्चे को गंभीर चोटें आई हैं। घटना के बाद बच्चे के पिता ने उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने इलाज के लिए चंडीगढ़ या दिल्ली जाने की सलाह दी है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे इलाज कराने में असमर्थ हैं। हालांकि फैक्टरी मालिक ने इलाज का आश्वासन दिया था, वह बाद में मुकर गया। पीड़ित परिवार ने शिकायत पुलिस को की है। पुलिस ने फैक्टरी मालिक व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पानीपत जिले के जालपाड़ गांव के रहने वाले शरीफ ने पुलिस को बताया कि गांव के एक व्यक्ति मौमिन उनके बेटे समीर को 27 अक्तूबर को बिना अनुमति फैक्टरी लेकर गया। मौमिन ने दावा किया कि फैक्टरी में मजदूरों की कमी है और अब मशीन भी चलानी होगी। समीर ने मना किया, लेकिन उसे जबरन मशीन चलाने के लिए बाध्य किया गया। फैक्टरी में काम करते वक्त समीर का हाथ मशीन में फंस गया, जिससे उसे गहरी चोटें आईं। घायल समीर ने पिता को बताया कि उसे फैक्टरी में छोटा-मोटा काम करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन बाद में मशीन ऑपरेट करने के लिए दबाव डाला गया।
बच्चे के जीजा नसीम ने बताया कि परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है और इलाज के लिए सरकारी योजनाओं पर निर्भर है। उनके पास आयुष्मान कार्ड है, लेकिन कई अस्पतालों में यह कार्ड स्वीकार नहीं किया गया। इससे बच्चे के इलाज में मुश्किलें बढ़ गई हैं।
घटना के बाद पुलिस ने फैक्टरी मालिक शिखर विज और मौमिन के खिलाफ केस दर्ज किया है। जांच अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि दोनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 289 और बाल श्रम निषेध अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है।