जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 4 अगस्त
आधुनिक गांव उगाड़ा में अब बहुत जल्द ही एक अत्याधुनिक एनिमल हॉस्टल का निर्माण होगा। इसका प्रोजेक्ट पिछले 3 वर्ष से सरकार के पास गया हुआ था। अब मंजूरी मिलने के बाद अनुमानित लागत 15 करोड़ रुपये में से 1.42 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं। प्रोजेक्ट गांव की दशा बदलने में नींव का पत्थर साबित होगा जिसका उद्देश्य पशुपालन और खेती में होने वाले खर्च को कम करना और मुनाफे को बढ़ाना है। उत्तर भारत में अपनी तरह का यह पहला प्रोजेक्ट है।
जानकारी के अनुसार एनिमल हॉस्टल के अंदर गांव के बाशिंदे अपने पालतू पशु रख सकेंगे। इसके साथ ही एक बायोगैस प्लांट लगाया जाएगा। इसकी सप्लाई पाइप लाइन के जरिए गांव में घर-घर तक पहुंचाई जाएगी और खेतों के लिए ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर के साथ-साथ नाइट्रोजन युक्त पानी से खेतों की सिंचाई की व्यवस्था बनाई जाएगी। पशुओं के लिए शेड के टॉप पर सोलर प्लांट लगेगा। डॉक्टर की सुविधा और दवाइयां फ्री होंगी। सुविधाओं के लिए पशुपालक को मामूली शुल्क अदा करना होगा।
हरेक पशु का बीमा, जीपीएस टैग लगेगा
सरपंच पति जसविंद्र ने बताया कि हर पशु का बीमा होगा, हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा, टैग लगाया जाएगा। हर पशु को जीपीएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा। मालिक के हिसाब से पशुओं का अलग-अलग पार्टीशन किया जाएगा। हर पशु को देखने के लिए सीसीटीवी कैमरा होगा। सीसीटीवी कैमरे का फुटेज अपने मोबाइल पर कहीं पर भी बैठ कर लाइव देख सकेंगे। एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाएगा जिसमें पशुओं का डाटा अपलोड किया जाएगा।
मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट भी होगा स्थापित
मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित होगी। किसानों को अनाज सुखाने और इकट्ठा करने के लिए 390×70 का शेड और पक्का फड़ बनाकर दिया जाएगा। जोहड़ होगा। गांव के लोगों के ट्रैक्टर ट्रॉली, कार या गाड़ी खड़ी करने को पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। प्रोजेक्ट में भेड़, बकरी, सूअर और गधे-घोड़ों के लिए भी स्थान होगा। गांव में ही नर्सरी और बीज उपचार केंद्र बनेगा। प्रोजेक्ट को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा।
14 किलो बायो गैस मिलेगी 350 रुपए में
गांव की सरपंच हरिंद्र कौर के पति जसविंद्र के अनुसार सरकार की मंजूरी के बाद जल्द ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू करवा दिया जएगा। उन्होंने बताया कि एलपीजी सिलेंडर की 14 किलो गैस के लिए 700 से 800 रुपए खर्च करते हैं। यही सिलेंडर बायोगैस के माध्यम से 350 रुपए में प्राप्त होगा। बायो फर्टिलाइजर और नाइट्रोजन युक्त पानी से सिंचाई की व्यवस्था बनाई जाएगी जिससे खेतों में यूरिया की खपत धीरे धीरे खत्म हो जाएगी। सोलर प्लांट से गांव में सब्सिडी पर बिजली दी जाएगी। लगभग 100 लोगों को रोजगार मिलेगा और पशु रखने का व्यवसाय बढ़ेगा। प्रोजेक्ट के 2 साल पूरा होने के बाद कोई भी गरीब महिला या बीपीएल कार्ड धारक पशु रखना चाहे तो उसे रजिस्ट्रेशन करवा कर पशु पंचायत की ओर से दिया जाएगा, बदले में उसे 50 प्रतिशत दूध पंचायत के पास जमा कराना होगा। कीमत पूरी होने पर पशु उसका होगा।