‘मूव स्ट्रॉन्ग 24’
विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 28 सितंबर
मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) एक गंभीर और विकलांग करने वाली बीमारी है, जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) पर हमला करती है। दुनियाभर में 2.3 मिलियन से अधिक लोग इससे पीड़ित हैं, लेकिन यह संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि कई मामले निदान योग्य नहीं होते। उत्तरी अमेरिका और यूरोप में एमएस का प्रचलन सबसे ज्यादा है, जहां प्रति 100,000 व्यक्तियों में 50-100 मामले होते हैं। भारत में यह संख्या 9-10 प्रति 100,000 है, और देश में 100,000 से अधिक मरीज हो सकते हैं। शनिवार को पीजीआई चंडीगढ़ के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. धीरज खुराना ने ‘मूव स्ट्रॉन्ग 24’ अभियान के तहत यह जानकारी साझा की। यह कार्यक्रम पीजीआई और चंडीगढ़ स्पाइनल सेंटर द्वारा आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य एमएस के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम की थीम ‘एमएस का एक साथ सामना करना’ थी, जिसमें एमएस वॉरियर्स द्वारा कार्यशालाएं और व्याख्यान आयोजित किए गए। उन्होंने कहा कि एमएस को हराया जा सकता है, इसके लिए वॉरियर्स को कभी हार नहीं माननी चाहिए।
पीजीआई में चल रही मल्टीडिसिप्लिनरी क्लिनिक
पीजीआई में एमएस और अन्य डिमायलिनेटिंग बीमारियों के लिए एक मल्टीडिसिप्लिनरी क्लिनिक संचालित किया जा रहा है। इस क्लिनिक में 400 से अधिक मरीज पंजीकृत हैं और हर हफ्ते औसतन 5-6 मरीज देखे जाते हैं। इस बहुविषयक टीम में न्यूरोलॉजिस्ट, एमएस काउंसलर, मनोवैज्ञानिक, व्यावसायिक चिकित्सक और फिजियोथेरेपिस्ट शामिल होते हैं, जो मरीजों के समग्र प्रबंधन में मदद करते हैं। चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब भी एमएस, स्ट्रोक, और रीढ़ की हड्डी की चोट जैसे रोगों से पीड़ित लोगों के लिए पुनर्वास सेवाएं प्रदान कर रहा है। यह केंद्र 2016 से काम कर रहा है और एमएस के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
कारण और उपचार
एमएस का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन यह एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। आनुवांशिकी, पर्यावरणीय कारक और संक्रमण संभावित कारण हो सकते हैं। हालांकि एमएस का इलाज संभव नहीं है, इसे नियंत्रित करने के लिए दवाएं, फिजियोथेरेपी और जीवनशैली में बदलाव उपलब्ध हैं। दवाओं में डाइमिथाइल फ्यूमारेट, टेरिफ्लुनोमाइड, फिंगोलिमोड, और इंजेक्शन में इंटरफेरॉन और रिटुक्सिमैब शामिल हैं।
लक्षण और प्रकार
एमएस के लक्षण व्यक्ति-दर-व्यक्ति भिन्न होते हैं। इनमें दृष्टि संबंधी समस्याएं, मांसपेशियों की कमजोरी, संतुलन में कठिनाई, अत्यधिक थकान, और सुन्नपन शामिल हैं। यह आमतौर पर रिलैप्सिंग-रेमिटिंग एमएस के रूप में शुरू होती है, जिसमें लक्षण अचानक शुरू होते हैं और समय के साथ सुधरते हैं। कुछ मामलों में यह प्रोग्रेसिव एमएस में बदल सकती है, जहां लक्षण धीरे-धीरे बिगड़ते जाते हैं।
‘मूव स्ट्रॉन्ग’ कार्यक्रम
2011 से चल रहे ‘मूव स्ट्रॉन्ग’ कार्यक्रम का उद्देश्य एमएस रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। यह कार्यक्रम मरीजों के लिए तैराकी, योग, फिजियोथेरेपी, और मस्तिष्क के खेल जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है, जिससे वे अपनी जीवनशैली में सुधार कर सकें।