दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 11 फरवरी
हरियाणा के 52 शहरों की ‘स्थानीय सरकार’ पर भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की नजर है। इन नगर परिषद व नगर पालिकाओं के चुनाव लंबित हैं। इनका कार्यकाल पिछले साल जून में पूरा हो चुका है। तब से ये निकाय प्रशासकों के हवाले हैं। चुनावों को देखते हुए इन शहरों में विकास कार्यों के लिए सरकार ने मोटा बजट मंजूर किया है। सरकार की डिमांड पर निकायों की ओर से 940 करोड़ 68 लाख की लागत की 1645 विकास परियोजनाओं का खाका प्रदेश मुख्यालय में भेजा था।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने परियोजनाओं की संख्या में तो उतनी कटौती नहीं की, लेकिन बजट डिमांड पर पूरी कैंची चलाई है। सीएम के मुख्य प्रधान सचिव डीएस ढेसी ने 385 करोड़ रुपये की लागत वाली 1360 विकास परियोजनाओं की मंजूरी दी है। निकाय विभाग ने सभी निकायों को इस संबंध
में सूचित कर दिया है। इसके लिए पहले निकाय अधिकारियों से सामान्य कागज पर डिमांड मांगी गई थी।
अब बजट मंजूर होने के बाद उन्हें संबंधित विकास परियोजनाओं के अस्टिमेट बनाकर भेजने को कहा है। साथ ही, उन्हें यह भी निर्देश दे दिए हैं कि वे टेंडर करके विकास कार्य शुरू करवा सकते हैं। सरकार की ओर से उन्हें पैसा भेज दिया जाएगा। यह पूरी कवायद निकाय चुनावों से ही जुड़ी है। मार्च के दूसरे सप्ताह में वित्त मंत्री होने के नाते सीएम मनोहर लाल खट्टर गठबंधन सरकार की तीसरा वार्षिक बजट पेश करेंगे। बजट सत्र के बाद प्रदेश में निकाय चुनावों का कभी भी ऐलान हो सकता है। इन 52 निकायों के चुनाव अप्रैल में करवाए जाने के आसार हैं। राज्य चुनाव आयोग ने भी निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। विकास कार्यों के लिए यह विशेष बजट इसीलिए मंजूर किया है, जिससे शहरों में विकास के नाम पर गठबंधन सरकार लोगों से वोट हासिल कर सके।
इसलिए अहम हैं चुनाव
राज्य की गठबंधन सरकार के लिए निकायों के लिए ये चुनाव काफी अहम हैं। मौजूदा सरकार के अब तक के कार्यकाल में दो हलकों में उपचुनाव हो चुके हैं और दोनों में गठबंधन की हार हुई। 2020 में बरोदा हलके में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के इंदूराज नरवाल ने गठबंधन प्रत्याशी योगेश्वर दत्त को शिकस्त दी। पिछले साल ऐलनाबाद हलके में हुए उपचुनाव में इनेलो के अभय चौटाला ने गठबंधन के गोपाल कांडा को हराया। इससे पहले, अंबाला सिटी, पंचकूला व सोनीपत निगम सहित सात निकायों के चुनावों में गठबंधन को अच्छे नतीजे नहीं मिले। अब एक साथ 52 निकायों के चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकार किसी तरह का जोखिम लेने के मूड में नहीं है।
गठबंधन मिलकर लड़ेगा निकाय चुनाव
नगर परिषद और नगर पालिकाओं के चुनाव भाजपा-जजपा गठबंधन मिलकर लड़ेगा। दोनों पार्टियों के बीच इस पर सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है। भाजपा निकायों के चुनाव सिंबल पर लड़ती है। चुनावों की घोषणा के बाद दोनों पार्टियां मिलकर तय करेंगी कि किस जगह किस पार्टी का प्रत्याशी चुनाव में उतरेगा। कांग्रेस ने पहली बार मेयर के अलावा रेवाड़ी नगर परिषद में अध्यक्ष का डायरेक्ट चुनाव लड़ा था। इस बार निकाय चुनावों में कांग्रेस सिंबल पर प्रत्याशी उतारेगी या नहीं, इसको लेकर असमंजस है।
विज के एरिया पर सीएम मेहरबान
गृह मंत्री अनिल विज पर सरकार मेहरबान है। उनकी अंबाला नगर परिषद को सबसे अधिक बजट और विकास प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं। जिन दिनों यह प्रक्रिया चल रही थी, उस दौरान शहरी स्थानीय निकाय मंत्रालय भी विज के पास था। अंबाला नगर परिषद की ओर से 49.6 करोड़ की लागत के 250 विकास कार्यों की सूची मुख्यालय भेजी थी। सरकार ने 29.40 करोड़ से अधिक के 236 प्रोजेक्ट पर मुहर लगाई है। नारायणगढ़ पालिका को 9.13 करोड़ रुपये मिले हैं।
दुष्यंत के उचाना को 1.60 करोड़
उचाना कलां नगर पालिका के लिए सरकार ने 1.60 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है। डिप्टी सीएम दुष्यंत के निवार्चन क्षेत्र वाली इस पालिका ने कुल 17 विकास परियोजनाओं के लिए यह पैसा मांगा था। सरकार ने बिना कटौती के सभी को मंजूरी दी है। लाडवा नगर पालिका के लिए सबसे कम 58 लाख रुपये मंजूर हुए हैं। जितने पैसे की डिमांड की, उतना ही जारी हुआ है।