पिहोवा, 18 मई (निस)
राजकीय महाविद्यालय भेेरियां और हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी पंचकूला के संयुक्त तत्वावधान में गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित गुरु तेगबहादुर जीवन और वाणी पुनर्विचार अंतर अनुशासनिक पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में महाविद्यालय प्राचार्य राजेश कुमार सैनी ने संगोष्ठी में विभिन्न विश्वविद्यालय, और महाविद्यालयों से आए विद्वान प्रोफ़ेसरों और शोधार्थियों का स्वागत किया।
गुरविंदर सिंह धमीजा, उपाध्यक्ष, हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी पंचकूला ने अपने वक्तव्य में गुरु तेग बहादुर केजीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने गुरु नानकदेव व गुरु तेगबहादुर के जीवन दर्शन को वर्तमान परिदृश्य से जोड़ते हुए उनकी शहादत, उनके सामाजिक संघर्ष, महिला सशक्तीकरण तथा उनकी हरियाणा और भारत के अन्य क्षेत्रों में की गई यात्राओं के ऊपर विस्तृत चर्चा की। डॉ. सुखविंदर सिंह उप निदेशक, उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में गुरु तेगबहादुर की वाणी तथा जीवन दर्शन की प्रासंगिकता और उन्हें हिंद की चादर क्यों कहा गया इस पर अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. परमजीत कौर सिद्धू, पंजाबी विभाग, कुवि ने गुरु तेगबहादुर और अन्य गुरुओं की वाणी एवं विचारधारा को अलग-अलग ना करते हुए उन्हें ए- दूसरे के साथ जोड़कर समझने पर जोर दिया। डॉ. हरजोध सिंह ,अध्यक्ष, भाई वीर सिंह चेयर पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला ने अपने संबोधन गुरु तेग बहादुर की शहादत और जीवन दर्शन को बड़े ही तथ्यात्मक ढंग से प्रस्तुत किया। डॉ. राजेंद्र सिंह भट्टी, पूर्व अध्यक्ष, पंजाबी विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र ने प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए सेमिनार में विभिन्न विद्वानों द्वारा दिए गए व्यक्तव्यों पर सारगर्भित टिप्पणी की।