दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 18 नवंबर
हरियाणा अब बदल रहा है। लोगों की सोच भी बदली है। बिजली चोरी और ‘कुंडी कनेक्शन’ छोड़ प्रदेश में अब उपभोक्ता नियमित रूप से बिल भर रहे हैं। बेशक, राज्य के कुछ गांवों में अभी परेशानी है, लेकिन ओवरआल देखें तो हरियाणा ने बिजली के मामले में ऊंची उड़ान भरी है। हरियाणा की गिनती बिजली क्षेत्र में सुधार को लेकर देश के टॉप 5 राज्यों में है। पिछले 7 साल में 18वें पायदान से हरियाणा चौथे नंबर पर पहुंचा है।
लगातार घाटे में चल रही प्रदेश की बिजली कंपनियां अब कमाई कर रही हैं। इस साल भी बिजली कंपनियों को लगभग 2 हजार करोड़ का मुनाफा होने का आकलन है। सीएम मनोहर लाल खट्टर द्वारा जुलाई-2015 में कुरुक्षेत्र के ‘दयालपुर’ गांव से शुरू की गई ‘म्हारा गांव-जगमग गांव’ योजना के नतीजों से अब केंद्र सरकार भी प्रभावित है। इस योजना से जहां गांव में 24 घंटे बिजली मिली, वहीं राज्य सरकार को शाबासी मिली। पिछले दिनों केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बिजली क्षेत्र में किए सुधार व योजनाओं को लेकर हरियाणा की तारीफ भी कर चुकी हैं। उन्होंने दूसरे राज्यों को भी हरियाणा का अनुसरण करने को कहा। दो माह पहले आई नीति आयोग की रिपोर्ट में भी हरियाणा के उल्लेखनीय प्रदर्शन को लेकर तारीफ की गई है। रिपोर्ट में बिजली कंपनियों के सीएमडी रहे आईपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर के नेतृत्व की प्रशंसा की गई है। सीएम ने पहली बार बिजली कंपनियों में आईपीएस अधिकारी को लगाने का प्रयोग किया था। यह कामयाब रहा। सुधार के इन कार्यक्रमों को पिछले दो वर्षों से बिजली मंत्री होने के नाते रणजीत सिंह आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बिजली चोरी पकड़ने के लिए 9 महीनों में 3 बार बड़ी रेड प्रदेश में करवाई हैं। इनका फायदा यह हुआ कि हजारों प्रतिष्ठानों में बिजली चोरी पकड़ी गई। करोड़ों रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। ‘म्हारा गांव-जगमग गांव’ योजना से 5487 गांवों को 24 घंटे बिजली मिल रही है। बाकी गांवों को भी इससे जोड़ने की कवायद चल रही है। स्मार्ट मीटर योजना के पहले चरण में 10 लाख व दूसरे चरण में इतने ही और स्मार्ट मीटर लगेंगे।
32 हजार करोड़ था कर्ज, अब मुनाफा
हरियाणा की बिजली कंपनियों पर 2014-15 के दौरान लगभग 32 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था। इसी दौरान केंद्र ने ‘उदय’ योजना की शुरुआत की। हरियाणा ने इसे सबसे पहले अपनाया। बिजली कंपनियों का 26 हजार करोड़ से अधिक का कर्जा सरकार ने अपने सिर लिया। इसी फैसले से 4 हजार करोड़ से अधिक का लाभ हुआ। बिजली कंपनियों पर जो कर्जा था, उसका ब्याज अधिक था। वहीं सरकार ने जब कर्ज अपने सिर लिया तो ब्याज दर कम हो गई। इस साल बिजली कंपनियों को करीब 2 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है।
ऐसे कम हुआ नुकसान
साल एटी एंड सी लॉस
2014-15 29.01%
2015-16 30.02%
2016-17 25.43%
2017-18 20.29%
2018-19 17.45%
2019-20 17.17%
2020-21 16.22%
2021-22 15% (प्रस्तावित)