दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 10 फरवरी
कोरोना काल के दौरान राज्य में हुए कथित रजिस्ट्री घोटाले में अब इसमें संलिप्त अफसरों पर गाज गिरना तय है। गुरुग्राम और करनाल मंडल के अधीन आने वाले 6 जिलों के 234 से अधिक रेवन्यू अधिकारियों व कर्मचारियों को नोटिस जारी हो चुके हैं। दूसरे चरण में बाकी 4 मंडलों हिसार, रोहतक, अंबाला व फरीदाबाद के अंतर्गत पड़ने वाले बाकी 16 जिलों के अफसरों का नंबर है।
भ्रष्टाचार के इस मामले पर सरकार ने कार्रवाई भले ही देरी से की है, लेकिन माना जा रहा है कि अब सख्त कार्रवाई होगी। अंडर रूल-7 दोषियों को चार्जशीट किया जा सकता है। इसमें नौकरी भी जाने का खतरा है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग बाकी चारों मंडलायुक्तों को भी अब कार्रवाई के निर्देश देगा। इन जिलों के डीसी को चिट्ठी जारी करके रजिस्ट्री में हुई धांधली को लेकर नोटिस जारी किए जा सकते हैं।
इनमें बड़ी संख्या में तहसीलदार, उप-तहसीलदार, पटवारी सहित दूसरे अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। अब तक टाउन एंड कंट्री प्लानिंग तथा शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने अपनी कार्रवाई शुरू नहीं की है। दरअसल, रजिस्ट्री में हुई धांधली के अधिक मामले अर्बन एरियर डेवलपमेंट एक्ट के नियम-7ए के उल्लंघन से जुड़े हैं। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग तथा शहरी स्थानीय निकाय विभाग से जुड़े कई अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है।
हालांकि शुरुआती चरण में सरकार इसे घोटाले की बजाय लापरवाही और अनदेखी का मामला बताती रही, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि रजिस्ट्री घोटाला हजारों करोड़ रुपये का है। गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत, पंचूकला, करनाल, रोहतक, नारनौल, हिसार सहित प्रदेश के अधिकांश जिलों में इस तरह की रजिस्ट्री हुई हैं। एफसीआर कार्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बाकी के 4 मंडलायुक्त की रिपोर्ट का आंकड़ा कम्पाइल हो रहा है। इसके बाद अगली कार्रवाई की जाएगी।
गुरुग्राम और करनाल मंडल में 30 हजार से अधिक मामले
अकेले गुरुग्राम और करनाल मंडल के अधीन आने वाले 6 जिलों करनाल, पानीपत, कैथल, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी में रजिस्ट्री के 30 हजार से अधिक मामले हैं। जिलों व मंडलों से आई जांच रिपोर्ट में शामिल डीआरओ (जिला राजस्व अधिकारी), तहसीलदारों, नायब-तहसीलदारों, पटवारी सहित अन्य कर्मियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया जाएगा। फिलहाल जिन 234 अधिकारियों को नोटिस जारी हुए हैं, उन्हें जवाब देने के लिए 15 दिन की मोहलत दी है।
2017 से 2020 में हुई धांधली
मंडलों से आई जांच रिपोर्ट में यह बात साफ हो गई है कि नियम-7ए का उल्लंघन अकेले कोरोना काल में नहीं, बल्कि 2017 से चला आ रहा है। रजिस्ट्री घोटाला खुलने के बाद उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने अप्रैल-2017 से अगस्त-2020 की अवधि में नियम-7ए के तहत हुई सभी रजिस्ट्रियों की जांच करने के आदेश दिए थे। खट्टर सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2016 में नियम-7ए में संशोधन किया था। कोविड-19 के दौरान जब धांधली पकड़ी गई तो इस नियम में फिर से बदलाव करना पड़ा।
पटवारी और रजिस्ट्री क्लर्क भी नपेंगे
जांच रिपोर्ट में यह बात साफ हो गई है कि कथित रजिस्ट्री घोटाले में रेवन्यू अफसरों के अलावा बड़ी संख्या में पटवारियों और रजिस्ट्री क्लर्क की भी बड़ी भूमिका रही। रजिस्ट्री क्लर्क की पोस्टिंग को
लेकर मारामारी रहती है और ‘सैटिंग’ का खेल चलता है। ऐसे में अब हर डिवीजन के पटवारियों और रजिस्ट्री क्लर्क की भी जांच चल रही है।
टर्मिनेशन तक की कार्रवाई संभव
अंडर रूल-7 के तहत अधिकारी व कर्मचारी को चार्जशीट किया जाता है तो उसे टर्मिनेट तक किया जा सकता है। सस्पेंड करना तो रुटीन की प्रक्रिया है। कुछ मामलों में जांच के बाद इंक्रीमेंट व प्रमोशन रोकने के फैसले भी हो सकते हैं। हालांकि, अभी एफसीआर दफ्तर नोटिस के जवाब का इंतजार करेगा। नोटिस के बाद अगली कार्रवाई शुरू होगी। इन मामलों में सुनवाई का मौका भी संबंधित अधिकारी को मिलेगा।
”राज्य की सभी 120 तहसीलों में कार्यरत उन अधिकारियों व कर्मचारियों की जांच चल रही है, जो गड़बड़ी में शामिल हो सकते हैं। करनाल व गुरुग्राम मंडल के तहत आने वाले जिलों के रेवन्यू अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बाकी के 4 मंडलों में भी इसी तरह की कार्रवाई होगी।”
-पीके दास, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव