हिसार 8 नवंबर (हप्र)
हायर ज्यूडीशियरी में एससी-एसटी-ओबीसी समाज के नगण्य प्रतिनिधित्व पर चिंता व्यक्त करते हुए नेशनल अलायंस फॉर दलित ह्यूमन राइट्स के संयोजक रजत कल्सन ने कहा कि देश में एससी/एसटी व ओबीसी समाज की जनसंख्या लगभग 80 फीसदी है, परंतु हायर ज्यूडिशियरी में इनका प्रतिनिधित्व न के बराबर है।
उन्होंने कहा की देश के विभिन्न हाईकोट्र्स में पिछले 6 सालों के दौरान अनुसूचित जाति के महज 3 प्रतिशत जज नियुक्त हुए हैं जबकि अनुसूचित जनजाति के नवनियुक्त जजों की संख्या सिर्फ डेढ़ प्रतिशत है तथा पिछले 10 सालों में सुप्रीम कोर्ट के जजों के नाम की सिफारिश करने वाले सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने एक भी अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने जज के तौर पर नामित नहीं किया।
कल्सन ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में 25 हाईकोर्ट में 554 नियुक्तियां की गईं, जिनमें से सामान्य श्रेणी से 430, अनुसूचित जाति से 19, अनुसूचित जनजाति से 6, अन्य पिछड़ा वर्ग से 58 और अल्पसंख्यकों में से 27 लोगों की नियुक्तियां हुईं. इनमें 84 नियुक्तियां महिला जजों के खाते में गई। उन्होंने कहा कि 2018 के बाद से हाईकोट्र्स में नियुक्त 75 फीसदी से ज्यादा जज ऊंची जातियों से हैं। अन्य पिछड़ी जाति के जजों की संख्या 12 फीसदी से कम है।