चंडीगढ़, 23 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
राज्य सूचना आयोग द्वारा लगाई गई 2 करोड़ 76 लाख रुपए जुर्माना राशि न भरने वाले 1726 डिफॉल्टर जन सूचना अधिकारियों से जुर्माना राशि वसूलने के लिए सरकार ने कड़ा फैसला लिया है। मुख्य सचिव विजय वर्धन की अध्यक्षता वाली मॉनिटरिंग कमेटी ने जुर्माना राशि वसूली सुनिश्चित करने के लिए आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि आरटीआई एक्ट-2005 के तहत निर्धारित 30 दिन में सूचना देने का नियम है। इस अवधि में सूचना नहीं देने पर सूचना अधिकारी पर 250 रुपए प्रतिदिन की दर से अधिकतम 25 हजार रुपए तक जुर्माना लगाने की पावर राज्य सूचना आयोग के पास है। अधिकतर अफसर न तो टाइम से सूचना देते हैं और न ही जुर्माना राशि जमा करवाते हैं। 2005 से अब तक सूचना आयोग ने कुल 4 करोड़ 79 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। आयोग ने कुल 3 हजार 589 मामलों में यह कार्रवाई की। इनमें से 1726 अफसरों ने कुल 2 करोड़ 76 लाख रुपये की जुर्माना राशि वर्षों से दबाई हुई है। सर्वाधिक जुर्माना राशि पंचायती राज विभाग के अफसरों पर है। यह 93 लाख 90 हजार रुपये हैं। इसी तरह से शहरी निकाय विभाग के अफसरों से 61 लाख 65 हजार रुपये वसूलने हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने जुर्माना राशि की वसूली को लेकर लोकायुक्त कोर्ट में 21 जुलाई को केस दर्ज कराया था।
सिस्टम बनाने के निर्देश
प्रदेश सरकार ने 29 जनवरी को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जुर्माना राशि वसूली के लिए उच्च स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी गठित की थी। सरकार ने सूचना आयोग को जुर्माना वसूली व इसकी निगरानी के लिए ऑनलाइन सिस्टम कायम करने के निर्देश भी दिए हैं। प्रत्येक विभाग जुर्माना वसूली ब्योरा अपडेट करेगा। तत्काल वसूली के लिए डिफॉल्टर सूचना अधिकारियों की सूची संबंधित विभाग भेजी जाएगी।