चंडीगढ़, 7 नवंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा के पूर्व सीएम व विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पर विधानसभा में विपक्ष की मांग को अनसुना कर लोकतंत्र का गला दबाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र के कृषि से जुड़े तीन नये कानूनों में बदलाव और एमएसपी की गारंटी से जुड़े कांग्रेस के संशोधन प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया। उलटा कांग्रेस विधायकों को नेम करके विधानसभा से बाहर कर दिया।
शनिवार को चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों से बातचीत में पूर्व सीएम ने कहा कि प्रदेश में अधिकांश विधायक कृषि बिलों के खिलाफ हैं लेकिन फिर भी सरकार ने विपक्ष की गैर मौजूदगी में इन बिलों के समर्थन में धन्यवाद प्रस्ताव पास कर दिया। उन्होंने कहा कि विधानसभा की रूल बुक के सेक्शन नंबर-183 के अनुसार किसी भी बिल पर चर्चा से पहले वोटिंग होनी चाहिए, लेकिन दो दिन के सत्र में विपक्ष की बात को अनसुना कर भाजपा ने तानाशाही दिखाई।
गांवों में सरपंचों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए पास किए गए राइट टू रिकॉल विधेयक पर टिप्पणी करते हुए विपक्ष के नेता ने कहा कि पहले सांसदों और विधायकों पर यह कानून लागू होना चाहिए। इसके बाद निचले स्तर तक इसे ले जाया जाना चाहिए। कृषि कानूनों में बदलाव से जुड़े सवाल पर हुड्डा ने कहा कि मौजूदा कानूनों से किसानों का बर्बाद होना तय है। इसलिए जरूरी है कि केंद्र सरकार चौथा विधेयक पारित करे और इसमें यह गारंटी ली जाए कि मंडियां बंद नहीं होंगी और किसानों की फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा।
हुड्डा ने कहा कि आम जनता पर इन कानूनों की मार पड़नी शुरू हो गई है। आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव का ही नतीजा है कि जमाखोर किसानों से 4-5 रुपये प्रति किलो प्याज खरीद कर आम जनता को 100 रुपये किलो के रेट पर बेच रहे हैं। किसान से 3-4 रुपये प्रति किलो टमाटर खरीद कर मार्केट में 80 से 100 रुपये किलो बेचा जा रहा है। इसलिए कांग्रेस लगातार सड़क से लेकर सदन तक इन कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रही है।