महम, 3 अगस्त (निस)
महम क्षेत्र में किसानों द्वारा लगभग 60 हजार एकड़ में खरीफ की मुख्य फसल कपास, बाजरा, धान व तिलहन आदि की बिजाई की गई है। क्षेत्र के कई गांवों में जलभराव होनेे से खरीफ की हजारों एकड़ फसलों पर बर्बाद होने का खतरा भी बना हुआ है। ढाई से तीन हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में जलभराव की स्थिति बनी हुई है और जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा।
राजनीतिक उठापटक के अलावा खेती बाड़ी के लिए ख्यात महम के कृषि क्षेत्र की दशा भी बदलती जा रही है। महम चीनी मिल की वजह से एक समय चारों तरफ गन्ने की फसल दिखाई देती थी, लेकिन क्षेत्र में साल दर साल बनी जलभराव की स्थिति व गन्ने की घटती पैदावार ने किसानों का गन्ने से मोह भंग कर दिया। इसके नतीजतन महम क्षेत्र में गन्ने की बिजाई का रकबा मात्र साढ़े पांच हजार एकड़ के आस पास रह गया है। दूसरी और किसानों ने धान की बंपर रोपाई की है। किसानों द्वारा लगभग 45 हजार एकड़ में धान रोपा गया है। जबकि कपास 10 हजार एकड़ पर आकर सिमट गई है। किसानों ने बाजरे की बिजाई में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
खंड कृषि विकास अधिकारी डॉ.संदीप नांदल ने बताया कि महम खंड में धान, गन्ना व कपास मुख्य फसल है। खंड के ज्यादातर गांव का कृषि क्षेत्र जलभराव की चपेट में आ रहा है। इसलिए किसानों का रुख धान की तरफ हो गया।