महावीर गोयल/वाप्र
पानीपत, 21 जुलाई
टेक्सटाइल उद्योगों को निर्यात को बढ़ाने के लिए 23 जुलाई को पेश होने वाले केंद्रीय बजट से अनेक उम्मीदें हैं। उद्योग ने सरकार से प्रतिस्पर्धी दरों पर कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग करते हुए एमएसएमई को 45 दिन के भुगतान नियम में छूट देने का आग्रह किया है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में वित्त मंत्री सीतारमण प्रदेश के विकास से संबंधित बजट में प्रावधान कर सकती हैं, जिससे यहां के किसानों, उद्योगों का लाभ हो सके। सरकार को टेक्सटाइल सेक्टर में रोजगार की बड़ी संभावनाएं दिखती है। सरकार द्वारा आरंभ की गई कई योजनाओं के बावजूद पिछले कुछ सालों से इस सेक्टर का अपेक्षित विकास और विस्तार नहीं हो पाया। केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्रालय पानीपत के कारोबारियों के सुझाव भी ले चुका है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात वृद्धि करना बड़ी चुनौती बना हुआ है। निर्यात के लक्ष्य भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
उद्यमियों की यही मांग चली आ रही है कि टेक्सटाइल उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कच्चे माल की उपलब्धता सस्ती दरों पर करवाई जाए। उद्योग का कहना है कि काटन और काटन वेस्ट के आयात को शुल्क मुक्त किया जाए। काटन सहित अन्य फाइबर के ऊंचे दाम होने के कारण टेक्सटाइल मूल्य शृंखला के सभी उत्पाद वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते। इसीलिए टेक्सटाइल उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जाना चाहिए। उद्योग को बजट में कपड़ा प्रौद्योगिकी उन्नयन के स्थान पर वैकल्पिक योजना की भी अपेक्षा है। सरकार ने अभी तक कोई वैकल्पिक योजना घोषित नहीं की है।
उद्योग व्यपार एमएसएमई को 45 दिनों के भीतर भुगतान की अनिवार्यता में बदलाव की उम्मीद है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने आयकर कानून की धारा 43 बी (एच) को लागू कर दिया था, जिसके तहत एमएसएमई से खरीदारी पर अगर 45 दिनों के भीतर उन्हें भुगतान नहीं दिया जाता है तो वह राशि खरीददार की आय में जुड़ जाएगी और वह राशि कर योग्य मानी जाएगी। टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़े सूक्ष्म एवं लघु उद्यमी भुगतान की अवधि 45 दिनों के स्थान पर 90 दिन करवाना चाह रहे हैं। उद्यमी एक-दूसरे से कच्चे माल से लेकर कई अन्य खरीददारी करते हैं, इसीलिए यह नियम उन पर भी लागू होता है। उनका कहना है कि टेक्सटाइल की पूरी शृंखला के लिए 45 दिन में भुगतान करना आसान नहीं है। यह व्यावहारिक भी नहीं है, क्योंकि इस सेक्टर में उद्योग-व्यापार का नियम 90 दिन का है। पिछले कुछ सालों से तो भुगतान में 180 दिन तक लग रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस नियम में छूट मिलेगी। बजट पर उद्योग व्यापार की नजरें हैं कि उद्योग व्यापार को प्रोत्साहन के लिए उन्हें क्या मिलता है।
”हमें इस बजट अपेक्षा है कि निर्यात उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए बजट में काफी कुछ मिलेगा। बजट से पूर्व उद्योग के सुझाव लिए जा चुके हैं।
-विनोद खंडेलवाल, प्रदेशाध्यक्ष हरियाणा चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज