फतेहाबाद, 22 सितंबर (हप्र)
जीवन का शतक लगा चुके चंबाराम ने ठाना कि वह अंगूठा टेकने के बजाय हस्ताक्षर करेंगे। इसी सोच के साथ, फतेहाबाद जिले के गांव अहलीसदार के 101 वर्षीय चंबाराम ने शिक्षा विभाग के उल्लास कार्यक्रम के तहत आयोजित परीक्षा में भाग लिया। रविवार को आयोजित इस परीक्षा में चंबाराम ने साबित कर दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। उन्होंने अपने गांव के सरकारी स्कूल में परीक्षा केंद्र पर खुद पैदल चलकर पहुंचकर परीक्षा दी। चंबाराम का शिक्षा के प्रति जोश और लगाव वास्तव में प्रेरणादायक था।
जिला समन्वयक पवन सागर और शिक्षकों ने चंबाराम का माला पहनाकर स्वागत किया। पहली बार डेस्क पर बैठकर परीक्षा देने के बाद, चंबाराम ने खुशी के साथ कहा कि ‘सारे पढ़न, निके वडे, सारे पढ़न’। उनका उत्साह पूरे गांव के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
चंबाराम के पोते, हंसराज ने बताया कि एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने उनके दादा को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। इसके बाद चंबाराम ने पढ़ाई का निर्णय लिया। पड़ोस की निजी स्कूल की शिक्षिका संदीप कौर ने उन्हें स्वयंसेवी शिक्षिका के रूप में पढ़ाया, जिससे वह परीक्षा देने के लिए तैयार हो गए।
उल्लास कार्यक्रम के तहत परीक्षा : शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित उल्लास कार्यक्रम का उद्देश्य निरक्षरों को साक्षर बनाना है। इस कार्यक्रम के तहत चंबाराम जैसे निरक्षर लोगों को अक्षर ज्ञान दिया जाता है, जिससे वे हस्ताक्षर कर सकें। हर साल इस कार्यक्रम के तहत परीक्षा आयोजित की जाती है। पवन सागर ने बताया कि रविवार को इस योजना के तहत प्रदेश में पहली बार प्रारंभिक परीक्षा हुई, जिसमें जिले के 256 केंद्रों पर 5255 लोगों ने भाग लिया। उल्लास योजना का उद्देश्य हरियाणा के सभी निरक्षर लोगों को साक्षर बनाना है, जिसमें 15 साल से ऊपर के निरक्षरों को शामिल किया जाएगा। प्रारंभिक परीक्षा के बाद तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा के स्तर तक की परीक्षाएं भी ली जाएंगी।