रविन्द्र सैनी/ट्रिन्यू
रोहतक, 7 नवंबर
हरियाणा में लिंगानुपात की स्थिति फिर खराब हुई है। पिछले साल के औसत लिंगानुपात (एसआरबी) की तुलना में चालू वर्ष के पिछले दस महीनों (जनवरी से अक्तूबर) में इसमें 11 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।
वर्ष 2023 में एसआरबी 916 था, जबकि इस साल अक्तूबर के अंत में यह 905 रहा। इस अवधि के दौरान 11 जिलों ने राज्य औसत से कम एसआरबी दर्ज किया है। इस साल 1000 लड़कों के मुकाबले 944 लड़कियों के जन्म के साथ यमुनानगर एसआरबी टैली में सबसे ऊपर रहा। इसके बाद सिरसा में 942, फतेहाबाद में 940 और करनाल में 934 एसआरबी है। गुरुग्राम में सबसे कम एसआरबी 859 दर्ज किया गया है, जबकि रेवाड़ी में 868, चरखी दादरी में 873 और रोहतक में 880 एसआरबी दर्ज किया गया है। इस साल अक्तूबर तक कुल 419213 बच्चे पैदा हुए। इनमें 220116 लड़के और 199097 लड़कियां हैं।
इस मामले में रेवाड़ी के नोडल अधिकारी डॉ. भंवर सिंह ने कहा, ‘आमतौर पर पितृसत्तात्मक मानसिकता और बेटियों को लेकर असुरक्षा की भावना को लिंग असंतुलन का मुख्य कारण माना जाता है। इसके अलावा, एकल-पुत्र संतान वाले माता-पिता द्वारा आगे बच्चे पैदा न करने का एक नया चलन देखा गया है। यह भी निराशाजनक लिंग अनुपात के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक है।’
सिंह ने कहा, ‘संवेदनशील गांवों में जागरूकता अभियान चलाने, अल्ट्रासाउंड और एमटीपी केंद्रों का नियमित निरीक्षण करने के अलावा हमने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया है, मैराथन का आयोजन किया है और केवल दो या दो से अधिक बेटियों वाले माता-पिता को सम्मानित करने के लिए समारोह आयोजित किए हैं, ताकि समाज में यह संदेश जाए कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं हैं।’ रोहतक के सिविल सर्जन रमेश चंद्र ने कहा, ‘गर्भवती महिलाओं के शीघ्र पंजीकरण और हर गतिविधि की बारीकी से निगरानी करने पर जोर दिया जा रहा है।’