ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 20 अगस्त
Haryana Politics: हरियाणा के बिजली मंत्री चौ. रणजीत सिंह चौटाला भाजपा में अपनी अनदेखी से खफा हैं। भाजपा ने हालिया लोकसभा चुनाव रणजीत सिंह को हिसार सीट से लड़वाया था। पूर्व डिप्टी पीएम और हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे चौ. देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह चौटाला को भाजपा ने हाल ही में विधानसभा चुनावों को लेकर बनाई गई अलग-अलग कमेटियों में से किसी में भी जगह नहीं दी है।
वहीं पूर्व सीएम चौ. भजनलाल और बंसीलाल के राजनीतिक वारिसों को पूरा मान-सम्मान इन कमेटियों में मिला है। भाजपा के हरियाणा मामलों के प्रभारी डॉ. सतीश पूनिया की चेयरमैनी में बनाई गई चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई को बनाया गया है। गत दिवस बनाई गई चुनावी घोषणा-पत्र कमेटी में आदमपुर विधायक व भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई को जगह दी गई है।
इस कमेटी में पूर्व मंत्री व हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आईं किरण चौधरी को भी जगह दी गई है। इतना ही नहीं, किरण को भाजपा राज्यसभा में भी भेज रही है। रणजीत सिंह भाजपा कमेटियों में जगह मिलने से उतना नाराज नहीं हैं, जितना कि हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) द्वारा उनके निर्वाचन क्षेत्र – रानियां से उम्मीदवार घोषित किए जाने से हैं। हलोपा के सिरसा से विधायक गोपाल कांडा ने अपने भतीजे और छोटे भाई गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा को रानियां से प्रत्याशी घोषित किया है।
गोबिंद कांडा भाजपा में हैं और वे ऐलनाबाद का उपचुनाव भाजपा टिकट पर लड़ चुके हैं। हलोपा एनडीए का भी हिस्सा है। हरियाणा में भी भाजपा और हलोपा के बीच गठबंधन में चुनाव लड़ने की चर्चाएं चली हैं। हालांकि अभी तक गठबंधन को लेकर अधिकारिक तौर पर किसी तरह की घोषणा नहीं हुई है। धवल कांडा को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद रणजीत सिंह ने तल्ख तेवर अपना लिए।
उन्होंने हलोपा को लेकर यह बयान भी दे दिया कि इनका एक ही विधायक बनता है और वह भी सीएम की गोद में बैठ जाता है। एक ही काम रहता है और वह है सीएलयू करवाने का। सूत्रों का कहना है कि रणजीत सिंह के बागी तेवरों के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तथा पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल ने उनसे फोन पर बातचीत की। रणजीत सिंह ने भाजपा नेताओं को स्थिति स्पष्ट करने और जल्द फैसला लेने को कहा है।
भाजपा का इंतजार करेंगे रणजीत सिंह
वरिष्ठ नेता रणजीत सिंह फिलहाल भाजपा के फैसले का इंतजार करेंगे। अगर भाजपा की ओर से कोई पॉजिटिव रिस्पांस नहीं मिलता तो वे बड़ा राजनीतिक फैसला भी कर सकते हैं। 2019 में कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने पर वे निर्दलीय चुनाव लड़े थे और हलोपा के गोबिंद कांडा को 19 हजार 431 मतों से शिकस्त देकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे थे। बहरहाल, रणजीत सिंह ने रानियां हलके में ही डेरा डाला हुआ है। वे अपने समर्थकों की बैठक कर रहे हैं और उन्होंने गांवों में प्रचार भी शुरू कर दिया है।