असीम राव/हप्र
नारनौल, 23 जून
हरियाणा कांग्रेस के नेताओं के बीच गुटबाजी खुलकर सड़कों पर आ चुकी है। नेताओं ने पब्लिक प्लेटफार्म पर एक-दूसरे के खिलाफ बयान दिए हैं। वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ भाजपा भी अब भितरघात से अछूती नहीं रही है। लोकसभा चुनावों के दौरान ही पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं व पार्टी पदाधिकारियों पर भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों की मुखालफत करने के आरोप लग चुके हैं।
इस बीच, रविवार को रोहतक में भाजपा पदाधिकारियों के ‘समागम’ में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का नहीं आना, राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बन गया है। बताते हैं कि राव इंद्रजीत सिंह ने कमर दर्द के ‘बहाने’ खुद को इस कार्यक्रम से दूर रखा। वहीं, उनके समर्थकों का कहना है कि भाजपा राव इंद्रजीत सिंह की ‘अनदेखी’ कर रही हैद्ध। इसी वजह से उन्होंने पार्टी के इस कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखी। इसे पहले नयी दिल्ली में हुई मीटिंग में भी राव इंद्रजीत सिंह नहीं पहुंचे थे।
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार में राव इंद्रजीत सिंह लगातार तीसरी बार मंत्री बने हैं, लेकिन उन्हें इस बार भी स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री बनाया गया है। राव इंद्रजीत सिंह व उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा। यहां बता दें कि इससे पहले कांग्रेस में रहते हुए भी राव इंद्रजीत सिंह, मनमोहन सरकार में दो पारियों में राज्य मंत्री रह चुके हैं। यानी वे बीस वर्षों से केंद्र सरकार में मंत्री तो हैं लेकिन कैबिनेट मंत्री का ओहदा उन्हें इस बार भी नहीं मिल सका। हरियाणा में भाजपा को लगातार दो बार सत्ता में लाने में दक्षिण हरियाणा की सबसे बड़ी भूमिका रही। सूत्रों का कहना है कि राव इंद्रजीत सिंह इस बात को लेकर भी नाराज़ हैं कि जब राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हुआ और नये सिरे से कैबिनेट का गठन हुआ तो उनसे चर्चा तक नहीं की गई। अलबत्ता राव इंद्रजीत सिंह के कोटे से राज्य मंत्री बने ओमप्रकाश यादव को हटाकर उनकी जगह अभय सिंह यादव को कैबिनेट में शामिल किया गया। राव इंद्रजीत सिंह के ‘बागी’ तेवरों ने अहीरवाल की राजनीति गरमा गई है।
धर्मबीर सिंह की जीत में योगदान
भाजपा इस बार भिवानी-महेंद्रगढ़ से धर्मबीर सिंह की जगह किसी अन्य नेता को टिकट देना चाहती थी लेकिन राव इंद्रजीत सिंह ने धर्मबीर सिंह की जीत की ‘गारंटी’ पार्टी नेतृत्व को दी। यही नहीं राव इंद्रजीत सिंह अपने बूते धर्मबीर सिंह को इस पार्लियामेंट सीट से जीत की हैट्रिक लगवाने में कामयाब रहे। कांग्रेस ने जातिगत समीकरण साधते हुए भिवानी-महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह को टिकट देकर चुनाव को बुरी तरह से फंसा दिया था लेकिन इस बेल्ट में राव इंद्रजीत सिंह की पकड़ का फायदा भाजपा को हुआ और धर्मबीर सिंह महेंद्रगढ़ जिले की चारों सीटों से अच्छी लीड लेने में कामयाब रहे।
बिना सहयोग के खुद हासिल की जीत
गुड़गांव संसदीय सीट से लगातार चौथी बार चुनाव जीतने वाले राव इंद्रजीत सिंह प्रदेश के अकेले ऐसे नेता हैं, जो छठी बार लोकसभा में पहुंचे हैं। वे हरियाणा सरकार में दो बार मंत्री भी रह चुके हैं। इस बार गुड़गांव पार्लियामेंट में भाजपा के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं ने उनके चुनाव प्रचार से दूरी बनाकर रखी। इतना ही नहीं, कुछ वरिष्ठ नेताओं पर तो राव इंद्रजीत सिंह की मुखालफत करने के भी आरोप हैं। इसके बाद भी राव इंद्रजीत सिंह अपने प्रभाव और क्षेत्र के मतदाताओं पर अच्छी पकड़ के चलते आसानी से चुनाव जीतने में कामयाब रहे।