ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 22 जुलाई
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इको ग्रीन कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पहले भी इस कंपनी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगा चुके केंद्रीय मंत्री ने अब सीएम नायब सिंह सैनी को पत्र लिखा है। उन्होंने कंपनी को हुए 350 करोड़ रुपये के भुगतान पर सवाल उठाते हुए इसकी जांच सीबीआई या किसी केंद्रीय एजेंसी से करवाने की मांग की है। हालांकि नायब सरकार विवाद बढ़ने के बाद कंपनी के साथ हुए एग्रीमेंट को रद्द भी कर चुकी है।
मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा हुआ है। नायब सिंह सैनी को लिखे पत्र में राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुग्राम नगर निगम के कई पार्षदों की ओर से की गई शिकायत का भी जिक्र किया है। उनका कहना है कि निगम की ओर से कंपनी को कूड़ा उठाने के लिए तय शर्तों से तीन गुणा तक अधिक भुगतान किया है। उन्होंने इस पूरे मामले में कंपनी के साथ अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत होने की भी आशंका जाहिर की है।
दरअसल, इको ग्रीन कंपनी के साथ हुए एग्रीमेंट में यह तय हुआ था कि कंपनी को एक हजार रुपये प्रति टन कूड़ा उठाने के लिए भुगतान होगा। 2017 से 2019 तक इसी दर के साथ भुगतान किया गया। 2019 के कंपनी के साथ हुए एग्रीमेंट को इस शर्त के साथ आगे बढ़ाया गया कि कंपनी 333 रुपये प्रति टन के हिसाब से अपने बिल जमा करवाएगी। लेकिन निगम की ओर से कंपनी को इस अवधि के बाद भी 1000 रुपये प्रति टन कूड़े के हिसाब से भुगतान किया गया। यह भुगतान 2019 से 2023 तक हुआ।
उनका आरोप है कि इस मामले में सैकड़ों करोड़ रुपये का गोलमाल हुआ है। कंपनी और सरकार के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत कंपनी को कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट भी लगाना था। स्थिति यह है कि गुरुग्राम में कंपनी ने आज तक भी प्लांट नहीं लगाया है। राव इंद्रजीत सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि शर्तें पूरी नहीं होने के बाद भी इको ग्रीन कंपनी को 350 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इतना पैसा देने के बाद भी शहर में साफ-सफाई नहीं हो सकी।
इन बिंदुओं पर जांच की मांग
राव इंद्रजीत सिंह का कहना है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा मुख्यमंत्री, सांसद व विधायकों को कई बार शिकायत करने के बाद भी कंपनी पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। इससे सांग-गांठ के स्पष्ट संकेत मिलते हैं। शर्तों के अनुसार काम नहीं होने के बावजूद करोड़ों रुपये की पेंमेंट करना सवालों के घेरे में है। गुरुग्राम के अधिकारियों ने कंपनी के साथ हुए टेंडर को रद्द करने की सिफारिश भी की गई लेकिन इस पर भी छह महीने बाद फैसला हुआ। कंपनी का 2019 से 2023 तक सेवा विस्तार करना भी जांच के दायरे में है। उनका कहना है कि इस सभी पहुलओं की केंद्रीय एजेंसी से जांच करवाई जानी चाहिए।