गुरुग्राम, 8 नवंबर (हप्र)
उद्योगों में स्थानीयों को 75 प्रतिशत आरक्षण कानून के विरोध में उद्योग जगत खुलकर आ गया है। उद्यमियों का मानना है कि सरकार ने अघोषित तौर पर फैक्टरियों को पलायन के लिए मजबूर करने वाला कानून बनाया है। इससे न सिर्फ उत्पादन क्षमता बल्कि गुणवत्ता और लागत समेत अनेक प्रकार की समस्याएं खड़ी होंगी।
उद्योग जगत ने 75 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को पूर्णतया राजनीति से प्रेरित बताते हुए आरोप लगाया है कि इसका प्रदेश के विकास से कोई सरोकार नहीं है। आईएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन यादव का कहना है, ‘जब ऐसे पेचीदा कानून बनेंगे तो उद्योग रहेंगे ही नहीं फिर रोजगार कहां से मिलेगा। सरकार की नीति ज्यादा से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां स्थापित करके ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करने की होनी चाहिए।’ उद्योगपति मनोज त्यागी का कहना है कि प्रदेश में न तो टूरिज्म बिजनेस है, न ही कोई अन्य प्राकृतिक संसाधन। खेती प्रदेश में आज इतनी अच्छी होती नहीं है। प्रदेश के चुनिंदा शहर औद्योगिक विकास के सहारे ही थे जिनके बूते हरियाणा प्रदेश को नंबर एक होने का गौरव मिलता था लेकिन सरकार इस फैसले से उसी औद्योगिक क्रांति का अंत कर रही है।
गुड़गांव उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण यादव कहते हैं, ‘प्रदेश में उद्योगों को न तो सरकार से कोई छूट मिल रही है, न सरकारी स्तर पर किसी विशेष प्रकार का लाभ। ऐसे में यह कानून योग्य बेरोजगारों को रोजगार से दूर रखने वाला साबित होगा।’
प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत व लोकल को वोकल के आह्वान के बाद से घरेलू मार्केट से राॅ मैटेरियल खरीदकर इंपोर्टिड फर्नीचर तैयार करने वाले केएन पांडे कहते हैं, ‘प्रदेश के युवाओं को सक्षम और स्किल्ड बनाने की जरूरत है ताकि रोजगार खुद उन तक चलकर पहुंचे। इस तरह के कानून बनाने से सिर्फ उद्योगों को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है।’