हिसार, 20 नवंबर (हप्र)
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (गुजविप्रौवि), हिसार के कुलपति प्रो. नरसीराम ने कहा कि सड़क सुरक्षा केवल सामाजिक मुद्दा ही नहीं है, बल्कि एक इंजीनियरिंग चुनौती भी है। गुजविप्रौवि इस चुनौती के प्रति गंभीर है और इस दिशा में अपना अग्रणी योगदान दे रहा है।
प्रो. नरसीराम बुधवार को विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सौजन्य से वर्तमान परिदृश्य में उपयोगकर्ताओं के लिए सड़क सुरक्षा हस्तक्षेप की भूमिका विषय पर शुरू हुई दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. ज्ञानेंद्र सिंह मुख्यवक्ता रहे। अध्यक्षता विश्वविद्यालय सिविल इंजीनियरिंग विभाग की अध्यक्ष प्रो. आशा गुप्ता ने की। विश्वविद्यालय के ट्रैफिक इंटरप्रिटेशन सेंटर के नोडल अधिकारी डा. नवदीप मोर कार्यशाला के समन्वयक हैं।
प्रो. नरसीराम ने कहा कि सड़क हादसों में युद्धों से भी ज्यादा लोग मर रहे हैं। भारत में स्थिति और अधिक चुनौतीपूर्ण है। विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी बनती है कि इस दिशा में कार्य करें। सिविल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को सड़क सुरक्षा के लिए नई डिवाइस बनानी चाहिए। कुलपति नेे युवाओं को यातायात के नियमों का कड़ाई से पालन करने का आह्वान किया।
प्रो. विनोद छोकर ने कहा कि शहरीकरण और गतिशीलता तेजी से बढ़ने के कारण यातायात की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। सड़कें केवल स्थानों को जोडऩे वाले रास्ते नहीं हैं, बल्कि जीवन रेखाएं हैं जो लोगों को सामानों की आवाजाही को सक्षम बनाती हैं। मुख्यवक्ता डा. ज्ञानेंद्र ने सड़क दुर्घटनाओं के गंभीर मुद्दे पर चर्चा की तथा सॉफ्टवेयर के साथ भविष्यवाणी के साथ दुर्घटना का विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि यातायात दुर्घटना में हर तीन-चार मिनट में एक व्यक्ति की मृत्यु हो रही है। जो न केवल एक सामाजिक समस्या का कारण है, बल्कि समाज पर भारी वित्तीय बोझ भी डालता है।