पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 18 अप्रैल
दिल्ली कूच के लिए किसान संगठनों पर लगातार बढ़ रहे दबाव के बीच मई में प्रस्तावित संसद मार्च रद्द हो गया है। हवाला यह दिया गया है कि मौजदूा परिस्थितियों को देखते हुए यह मार्च रद्द किया गया है। इधर, संसद मार्च को रद्द किए जाने लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों में हंगामा हो गया। इस मुद्दे पर दोनों प्रदेश के किसान आमने-सामने आ खड़े हुए।
उत्तर प्रदेश भी यही चाहता था कि यह मार्च रद्द नहीं किया जाए, लेकिन पंजाब जत्थे बंदियां इसके पक्ष में नहीं थी। हरियाणा प्रदेश के किसान संगठनों ने तो यहां तक कहा है कि इस बैठक में साफ हो गया है कि कौन किसानों के आंदोलन को आगे ले जाना चाहता है और कौन इसे रोक रहा है। बताया गया है कि देर रात तक चले इस हंगामा और विरोध के बीच जैसे-तैसे वरिष्ठ नेताओं ने स्थिति संभाली और दोनों पक्षों को शांत कराया गया।
यही वजह है कि संयुक्त किसाना मोर्चा की दो दिन पहले हो चुकी बैठक के बाद भी किसान नेता मीडिया का सामना करने को तैयार नहीं है। चूंकि ये सबसे बड़ा कार्यक्रम दिया गया था और अब इसके लिए तारीख तय करने की बजाय इसे रद्द कर दिया गया है। पंजाब के संगठन की सबसे ज्यादा दिल्ली कूच के लिए दबाव बना रहे थे और इनके कहने पर ही यह फैसला लिया गया था। अब किन्हीं वजह से पंजाब के संगठन ही इसके विरोध में उतरे हैं कि संसद मार्च रद्द किया जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल पंजाब के अधिकतर संगठनों के नेता परिस्थितियों को देखते हुए संसद मार्च का विरोध कर रहे हैं। वहीं, हरियाणा व यूपी के किसान नेता संसद मार्च करने पर अड़े हुए थे।
इधर, मार्च को रद्द करने के बारे में भाकियू नेता गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि अब यह कहना ठीक नहीं होगा कि कौन संसद मार्च चाहता था और कौन नहीं चाहता था। अभी आगे संसद मार्च करने को लेकर भी कोई विचार नहीं है। आगे परिस्थितियों के अुनसार रणनीति बनाई जाएगी।
पंजाब की 29 जत्थेबंदियां नहीं थी पक्ष में
संसद मार्च की रणनीति को लेकर ही दो दिन पहले पंजाब की जत्थे बंदियों की बैठक हुई थी। इसमें 29 संगठनों ने संसद मार्च करने से इनकार कर दिया तो 3 संगठन इसके लिए तैयार दिखे। शनिवार देर शाम तक संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक चली। इसमें संसद मार्च करने से पंजाब के संगठनों ने इनकार कर दिया, जबकि हरियाणा के किसान संगठनों के साथ ही यूपी के एक संगठन ने मार्च की बात कही। इसी को लेकर हरियाणा व पंजाब के किसान नेताओं के बीच काफी देर तक खींचतान होती रही। किसान नेताओं का दावा है कि इस समय परिस्थितियां अनुकूल नहीं है, जिसे देखते हुए मार्च नहीं करने का फैसला लिया गया है। संसद मार्च को लेकर अभी कोई विचार नहीं है और आगे परिस्थिति देखते हुए कोई फैसला लिया जा सकता है।