फतेहाबाद, 3 जुलाई (हप्र)
लोकसभा चुनावों के बाद प्रदेश में भी अपनी सत्ता खिसकते देख भाजपा सरकार को आखिरकार सरपंचों की याद आ गयी, लेकिन प्रदेश के सरपंच सरकार द्वारा की गई धक्केशाही को भूले नहीं है। सरपंच और ग्रामीण क्षेत्र के लोग सरकार की चिकनी-चुपड़ी बातों में फंसने वाले नहीं है। विधानसभा चुनावों में सरपंच अपने ऊपर पड़ी एक-एक लाठी का जवाब वोट की चोट से देने को आतुर बैठे हैं। यह बात वरिष्ठ कांग्रेस नेता अनिल ज्याणी ने कही। वे प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सरपंचों को लेकर की गई घोषणाओं पर टिप्पणी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने अपने शासनकाल में सरपंचों के अधिकार छीनने का काम किया है। भाजपा ने पहले दो साल तक पंचायतों के चुनाव न करवाकर गांवों में विकास कार्यों को रोके रखा और जब जनता के दबाव में चुनाव करवाए तो उसके बाद सरपंचों से सारी शक्तियां छीन ली। उन्हें कभी ई-टैंडरिंग, कभी राइट टू रिकॉल का डर दिखाया गया तो कभी उन्हें चोर तक बताया गया। अपने अधिकारों को लेकर जब सरपंच सड़काें पर उतरे तो इसी भाजपा सरकार ने उन पर लाठियां बरसाने का काम किया।
अनिल ज्याणी ने कहा कि लोकसभा चुनावों में प्रदेशभर में सरपंचों व ग्रामीण जनता ने भाजपा का विरोध किया। उन्हें गांवों में घुसने तक नहीं दिया गया। इसके बाद अब इस तानाशाह सरकार की अकड़ कम हुई और अब वह विधानसभा चुनावों को लेकर सरपंचों को लॉलीपोप देने का काम कर रही है। सरपंचों को अब 21 लाख तक के काम करवाने की पावर देने और उन्हें डीसी-एसपी के बराबर कुर्सी देने की बात कही जा रही है। यह सब भाजपा सरकार की बौखलाहट का परिणाम है।
इस अवसर पर अनिल ज्याणी ने कहा कि प्रदेश के सरपंच साफ कर चुके हैं कि जब तक भाजपा सरकार उनके पुराने अधिकारों को पूरी तरह बहाल नहीं करती, वे चुप बैठने वाले नहीं है। सरपंचों को उनके अधिकार दिलवाने को लेकर कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी है।