नवीन पांचाल/हप्र
गुरुग्राम, 20 अगस्त
बारिश के दिनों में जलभराव झेलने वाले साइबर सिटी के नये हिस्से के लोगों को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हूडा) व टाउन प्लानर्स की अदूरदर्शिता का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि शहर के ये हालात बारिश के खतरे को कम आंकना और पानी की निकासी की अपर्याप्त व्यवस्था करने के कारण बन रहे हैं।
हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरहोल बाॅर्डर पर बसे शॉपिंग मॉल व रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट के विकास की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। शिकायत थी कि यह प्रोजेक्ट बरसाती नाले की जमीन पर बने हैं। जिस स्थान पर एंबिएंस मॉल व इसके पीछे इसी ग्रुप की रिहायशी काॅलोनियां विकसित हैं वहां 20 साल पहले तक गहरी खाई और बंजर जमीन थी। यह जमीन अरावली हिल्स से आने वाले बरसाती पानी की निकासी के लिए नेचुरल ड्रेन का काम करती थी और बारिश के दिनों में यहां 100-100 फुट से भी ज्यादा पानी एकत्रित हो जाता था, लेकिन अब यहां 30-30 मंजिला ऊंचे गगनचुंबी इमारतें, शाॅपिंग माॅल बन चुके हैं और प्राकृतिक नाला समाप्त हो गया है।
यही स्थिति नाथूपुर ड्रेन की भी है। यह प्राकृतिक नाला गांव नाथूपुर से होते हुए वाया उद्योग विहार नजफगढ़ ड्रेन में मिलता है। इसे अब बाॅक्स ड्रेन यानि कंक्रीट के नाले में बदल दिया गया है। दोनों प्राकृतिक नालों में सबसे लंबी व इनसे अधिक क्षमता वाली बादशाहपुर ड्रेन की भी यही स्थिति है। इसे भी कंक्रीट की ड्रेन के तौर पर विकसित करके अरावली हिल्स से बरसात के दिनों में उतरने वाले पानी को सीमित स्थान दिया गया। अब निर्धारित मात्रा में ही पानी कंक्रीट की ड्रेन के अंदर जा सकता है और इस ड्रेन में 12 स्थानों पर बोटल नेक है। बारिश तेज होने की स्थिति में इसमें पानी का बहाव रुक जाता है और इसका पानी आसपास के इलाकों में भर जाता है।
अधिकारियों ने नहीं दिया कोई ध्यान
सिंचाई विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर राजीव वर्मा कहते हैं कि बादशाहपुर से सरहोल बाॅर्डर तक 6 ऐसे बांध थे जो 100 साल से भी ज्यादा पुराने थे। ये बांध अरावली से आने वाले बरसाती पानी को शहरी क्षेत्र में घुसने से रोक देते थे लेकिन नए शहर की परिकल्पना के दौरान प्लानिंग करने वाले अफसरों ने बरसाती पानी की निकासी की पर्याप्त व्यवस्था की ही नहीं, इसका जिसका खामियाजा सेक्टर 27 से सेक्टर 65 तक के लोगों को भुगतना पड़ा पड़ता है। जब पानी निकासी के लिए कोई व्यवस्था तैयार की जाती है तो नेशनल हाईवे 248ए के दूसरी ओर बसाए गए सेक्टर 66 से 102 तक के लोगों के लिए यह आफत बन जाता है। वह कहते हैं, ‘यह समस्या तब तक जारी रहेगी जब तक बरसाती पानी के संग्रहण और संरक्षण के लिए व्यापक व्यवस्था नहीं की जाएगी। इसके लिए सभी विभागों को मिलकर बड़ी ट्रेन की परिकल्पना पर विचार करना होगा क्योंकि अभी भी जो व्यवस्था की जा रही है वह नाकाफी है।
“सभी ड्रेन के सर्वेक्षण की योजना बनाई जा रही है ताकि पता लगाया जा सके कि दिक्कत कहां आ रही है। पानी निकासी की व्यवस्था अच्छी है लेकिन इसे दुरुस्त किया जा सकता है। पहले सर्वे की जरूरत है।”
-विनय प्रताप सिंह, नगर निगम कमिश्नर
बारिश की मात्रा का नहीं लगा अनुमान
गांव फाजिलपुर निवासी 72 वर्षीय बलबीर सिंह बेदी कहते हैं, ‘शहर में नई बसावट की परिकल्पना करने वाले अफसरों ने सामान्य दिनों में प्लानिंग तैयार कर ली। इस कारण बरसात के दिनों में जलभराव व बारिश की मात्रा का अनुमान नहीं लगा पाए। इसी अदूरदर्शिता का खामियाजा अलीशान मकान खरीदने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है।’ शहर का जलस्तर सिर्फ इसलिए गिरा है कि अधिकारियों ने एक भी प्राकृतिक नाला कच्चा नहीं रहने दिया।