ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 31 मई
शहर के पुराने बस स्टैंड के समीप 43 कनाल 2 मरले में बनने वाले सिटी स्क्वायर की एजेंसी को निष्कासित कर परियोजना की निविदा सूचना रद्द कर दी गई है। इसके बाद कांग्रेस खेमे के पार्षदों ने निविदा सूचना रद्द करने के आदेश को पार्षदों व शहरवासियों की जीत बताया है।
इस मामले में शुक्रवार शाम कोयल कांप्लेक्स में आयोजित की गई प्रेस वार्ता में पार्षदों ने इस प्रोजेक्ट की खामियों की परतें खोली। वार्ड नंबर 28 पार्षद मोहन लाल शर्मा व दिनेश शर्मा ने कहा कि बेशक सिटी स्क्वायर का निर्माण करने वाली एजेंसी को निष्कासित कर निविदा सूचना रद्द की गई है, लेकिन अब तक सिटी स्क्वायर के निर्माण में नुकसान की भरपाई भी इस एजेंसी के माध्यम से की जानी चाहिए। उन्होंने एजेंसी के ठेकेदार पर नगर परिषद व शहर के लोगों को नुकसान पहुंचाने पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक इस एजेंसी पर एफआईआर कर उससे जुर्माना लगा भरपाई नहीं की जाती, तब तक वे नई एजेंसी को काम नहीं सौंपने नहीं देंगे।
पार्षद मोहन लाल शर्मा ने बताया कि नगर परिषद ने सिटी स्क्वायर के निर्माण के लिए 2018 में निविदा सूचना जारी की थी। इसका कार्य 2020 तक पूरा करना था। बाद में कार्य पूरा न होने पर इसकी समय सीमा 31 दिसंबर 2023 तक बढा दी गई थी और इसकी राशि भी 38 से 54 करोड़ कर दी गई थी, लेकिन इसका कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ। अब तक केवल 10 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ। शुरूआत में ही नगर परिषद में पार्षदों ने इसका विरोध किया था। 24 अप्रैल 2024 को उन्होंने इस संदर्भ में एक ज्ञापन दिया। यह कंपनी कई जगह ब्लैक लिस्टिड है। शर्मा ने कहा कि यह शुरू से ही विवादों में रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसका ठेकेदार पहली बार में ही नगर परिषद के अधिकारियों व चेयरमैन को गुमराह करके काम से अधिक एडवांस पेमेंट ले गया था। इसका सभी पार्षदों ने विरोध किया था। इस मौके पर पार्षद सुशीला शर्मा, दिनेश, महेश गोगिया, बलजीत आदि उपस्थित थे।
38 करोड़ की निविदा सूचना को कर दिया 54 करोड़
पार्षद मोहन लाल शर्मा ने बताया कि इसके निर्माण कार्य में लापरवाही व भ्रष्टाचार देखा गया। इसका नपा के पार्षदों ने विरोध किया था। इसे लेकर 25 मार्च 2019 को 11 कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था, जो न्यायालय में विचाराधीन है। इस प्रोजेक्ट की 38 करोड़ की निविदा सूचना जारी की गई। इसमें 30 मरले में निर्माण कार्य करवाया जाना था। इसमें पार्किंग की व्यवस्था की जानी थी। शुरू से ही इस पर ग्रहण लग गया तथा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। बाद में सरकार ने इस पर मेहरबान होकर 38 करोड़ की निविदा सूचना को 54 करोड़ रुपये में दे दिया। पार्षदों ने इसका विरोध जताया व जन-जन तक यह बात पहुंचाई। अधिकारियों को ज्ञापन दिया गया। 31 मई को यह निविदा सूचना रद्द कर दी।