भिवानी, 2 मार्च (हप्र)
दुनिया आवागमन का खेल है। आते हैं, जाते हैं। हर रोज एक दिन कम करते जाते हैं और खुशी भी मनाते हैं। हैरानी की बात है कि दुनियादारी की और चीजों की बढ़ोतरी पर हमें खुशी मिलती है परंतु जीवन के एक एक दिन कम होने पर भी हम खुशी मना रहे हैं। संतों का जन्म और मरण एक जैसा ही है। ये जन्म संतो की संगत के लिए मिला था फिर दुर्जन के संग से इसे क्यों जाया कर रहे हो। जन्मदिवस सांसारिक उमंग या खुशी का दिन तो है लेकिन उससे बढक़र ये चिंतन का दिन होता है। चिंतन का इसलिए क्योंकि हमारे अनमोल जीवन का एक और वर्ष कम हो चला है। यह सत्संग वचन संत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने भिवानी के रोहतक रोड पर स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाया। हुजूर महाराज जी अपने 77वें जन्मदिवस पर संगत को सत्संग वचन परोस रहे थे। उलेखनीय है कि 2 मार्च को राधास्वामी सत्संग दिनोद के हुजूर कंवर साहेब जी महाराज का जन्मदिवस होता है।