प्रदीप साहू/हप्र
चरखी दादरी, 1 जून
चरखी दादरी के गांव कान्हाड़ा निवासी धर्मेंद्र श्योराण ने दक्षिण हरियाणा के रेतीले टिब्बों में सेब, बादाम, खुरमानी की खेती कर न केवल अपनी आमदनी बढ़ाने का कार्य किया, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा भी बने हैं। किसान धर्मेंद्र की इस मेहनत की आज हर तरफ तारीफ हो रही है। हालांकि धर्मेंद्र श्योराण ने बागवानी विभाग की तरफ से कोई सहायता न मिलने पर मलाल भी जताया। उन्होंने कहा कि यदि बागवानी विभाग उनकी मदद करता है तो वे बागवानी के क्षेत्र में और अधिक सराहनीय कार्य कर सकते हैं। जब भी सेब फल का नाम आता है, तो लोगों के दिमाग में सिर्फ ठंडे क्षेत्रों में ही इसकी खेती का ख्याल आता है। किसान धर्मेंद्र श्योराण के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही है, और उनकी इस बात से प्रेरणा लेते हुए रेतीले टिब्बों में असंभव कार्य को भी संभव कर दिखाया है। किसान धर्मेंद्र श्योराण ने बताया कि उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की तरफ रूख किया। जब उन्होंने बागवानी खेती की शुरुआत की थी तो सभी लोगों ने कहा था कि रेतीले क्षेत्र में बागवानी की खेती असंभव है।
किसान ने बताया कि उन्होंने करीब 7 वर्ष पहले सेब के 40 पौधों का रोपण किया था, जिसमें से 39 पौधे जलकर नष्ट हो गए थे। मात्र एक पौधे पर 7 सेब लगे थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी तथा अगले वर्ष एक बार फिर से मेहनत की तथा एक एकड़ में सेब के पौधों का रोपण किया। जिसका धीरे-धीरे परिणाम दिखने लगा।
उन्होंने दावा किया कि यदि किसान गर्म क्षेत्र में सेब की खेती की तरफ ध्यान दें तो भविष्य में निश्चित तौर पर वे हर वर्ष 20 लाख रुपये से भी अधिक सेब की खेती से कमा सकते हैं।