जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 2 जुलाई
किसान आंदोलन के चलते पिछले करीब 5 महीने से हरियाणा पंजाब के आम लोगों के लिए लाइफ लाइन बने घग्गर नदी के किनारे बने कच्चे रास्ते भी अब बंद होने के कगार पर हैं। अब मानसून की दस्तक ने आमजन की चिंता और बढ़ा दी है। बस मामूली से पानी का दबाव बढ़ा नहीं कि पंजाब-हरियाणा के संपर्क का यह अंतिम रास्ता भी समाप्त हो जाएगा। ये कच्चे रास्ते पहले ही ऐसी हालत में हैं कि हर पल लोगों को यहां फिसलने और गिरने का डर बना रहता है। ऐसे में बारिशों में ये रास्ते आवागमन करने लायक नहीं रहेंगे। यूं तो हरियाणा से पंजाब जाने के लिए कई अन्य पक्के हाइवे भी हैं। अगर अम्बाला और शंभू के नजदीकी गांवों व आसपास के इलाकों से दोनों तरफ आने जाने वाले नौकरी पेशा लोगों की बात करें तो पक्के रास्तों से मंजिल तक पहुंचने में उन्हें 40 से 50 किलोमीटर तक का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ेगा। वास्तव में तथाकथित किसानों और सरकार की आपसी खींचतान में आम जनता पिसती हुई नजर आ रही है। दरअसल आंदोलन के चलते हरियाणा-पंजाब की सीमा को अलग-अलग करने वाली घग्गर नदी के एक किनारे पर किसान तो दूसरे पर पैरा मिलिट्री फोर्स डटी हुई है। ऐसे में यह रास्ता आमजन के लिए 5 महीने से पूरी तरह बंद है। इसी की वजह से रोजमर्रा के कार्यों व नौकरी पर आने जाने वाले लोगों घग्गर नदी के किनारे बने कच्चे रास्तों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। लेकिन मानसून शुरू होते ही ऐसे लोगों के लिए यह रास्ता भी बंद होने को है। पानी का जरा सा दबाव बढ़ते ही इन रास्तों का प्रयोग जान को जोखिम में डालने जैसा होगा और ज्यादा पानी आने के बाद तो इस ओर देखने की भी जुर्रत नहीं रहेगी।
किसान आंदोलन 2 की शुरुआत होने से पहले से ही हरियाणा पंजाब का शंभू बॉर्डर बंद पड़ा है। ऐसे में आमजन को इन्हीं कच्चे रास्तों का सहारा लेना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि बीते साल की तरह अगर घग्गर नदी में बरसाती और पहाड़ों से आने वाला पानी आता है तो लोगों के आने जाने के ये इक्का दुक्का रास्ते भी बंद हो जायेंगे।