दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
रोहतक, 22 सितंबर
हार्ट ऑफ जाटलैंड यानी रोहतक जिला के रोहतक विधानसभा क्षेत्र में इस बार बड़ी चुनावी जंग हो रही है। बड़े ही नाटकीय घटनाक्रम में पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर यहां से लगातार छठी बार टिकट हासिल करने में कामयाब रहे हैं। एक बार तो उन्होंने बाकायदा मीडिया के सामने कह दिया था कि वे और उनके परिवार का कोई सदस्य इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा। लेकिन पार्टी और उनके समर्थकों के दबाव के चलते वे फिर से चुनावी रण में उतरे।
मनीष ग्रोवर के सामने एक बार फिर भाजपा के सबसे मजबूत और पुराने चेहरों में शामिल रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ़ मंगलसेन के गढ़ को बचाने की चुनौती है। रोहतक सीट पर डॉ़ मंगलसेन अकेले ऐसे नेता रहे, जो लगातार चार बार और कुल छह बार यहां से विधायक चुने गए। मंगलसेन की वजह से ही रोहतक सीट संघ और भाजपा के प्रभाव वाली रही। इस सीट पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक भारत भूषण बतरा एक बार फिर मनीष ग्रोवर के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। रोहतक सीट प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा से भी जुड़ी है। इस इलाके को पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रभाव वाला माना जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी मूल रूप से रोहतक जिले के ही रहने वाले हैं। भाजपा प्रत्याशी व पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर को मनोहर लाल के सबसे नजदीक नेताओं में माना जाता है। इस तरह की भी खबरें हैं कि मनोहर लाल की वजह से ही मनीष ग्रोवर को फिर से टिकट मिली है।
इसी तरह कांग्रेस के मौजूदा विधायक भारत भूषण बतरा की गिनती भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबियों में होती है। हुड्डा ने अपने पहले कार्यकाल में भारत भूषण बतरा को हरियाणा लोकसेवा आयोग (एचपीएससी) का चेयरमैन भी बनाया हुआ था। उस समय शादीलाल बतरा रोहतक से विधायक थे। कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया और इसके बाद भारत भूषण बतरा ने पहली बार रोहतक से चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे। अब एक बार भी मनीष और बतरा के बीच आमने-सामने की जंग छिड़ी है।
पंजाबी व बनिया बाहुल्य रोहतक सिटी में अब आसपास के गांवों के लोग भी आकर बस चुके हैं। बड़ी संख्या में गांवों के लोग अब शहरी सीट पर वोटर भी हैं। हालांकि मोटे तौर पर रोहतक को शहरी सीट ही माना जाता है। रोहतक को जब नगर निगम का दर्जा दिया गया तो साथ लगते कई गांवों को भी निगम के दायरे में शामिल किया गया। हालांकि इसका प्रभाव नगर निगम के चुनावों में पड़ता है। विधानसभा के चुनाव में मुख्य रूप से शहरी मतदाता ही हार-जीत का फैसला करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
रोहतक नगर निगम के मेयर रहे मनमोहन गोयल भी भाजपा टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। उनकी यह पुरानी इच्छा भी है। इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि उनके स्व़ पिता सेठ किशन दास तीन बार रोहतक से विधायक बने। वे हरियाणा सरकार में हेवीवेट कैबिनेट मंत्री भी रहे। आमतौर पर नेताओं के खिलाफ विकास कार्यों में धांधली या गड़बड़ के आरोप लगते हैं और केस भी दर्ज होते रहे हैं। लेकिन बंसीलाल की सरकार जाने के बाद सेठ किशन दास पर रोहतक में अधिक विकास कार्य करवाने के नाम पर केस दर्ज करवा दिया था।
एजुकेशन का बड़ा सेंटर बना शहर
रोहतक अब एजुकेशन का बड़ा सेंटर बन चुका है। मेडिकल यूनिवर्सिटी (पीजीआई) के अलावा महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के अलावा पंडित लख्मी चंद यूनिवर्सिटी ऑफ परफोर्मिंग एंड विज्युअल आर्ट्स के अलावा आईआईएम (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट) रोहतक में स्थित है। यह ऐसा शहर है, जिसमें विभिन्न संस्थाओं द्वारा एजुकेशन संस्थान चलाए जा रहे हैं। वैश्य एजुकेशन सोसायटी, गौड़ ब्राह्मण प्रचारिणी सभा, जाट एजुकेशन सोसायटी व सैनी एजुकेशन सोसायटी के कई स्कूल, कॉलेज व अन्य संस्थान शहर में हैं। बाबा मस्तनाथ के भी स्कूल, कॉलेज व यूनिवर्सिटी इस शहर को शिक्षा के केंद्र के रूप में उभारते हैं।
रोहताश गढ़ से बना रोहतक
रोहतक को लेकर लोगों के बीच अलग-अलग धारणा है। कुछ लोगों का मानना है कि यहां के राजा रोहताशगढ़ के नाम पर रोहतक नाम पड़ा। वहीं सरकारी रिकार्ड में ऐसा माना जाता है कि घने जंगल की जगह यह शहर बसा है। यह भी कहा जाता है कि शहर के अस्तित्व में आने से पहले यह रोहितक (एक पेड़ का नाम) के पेड़ों की जगह थी। यहां घना जंगल था। इसकी जगह शहर बसाया गया और इसी वजह से इसका नाम रोहतक पड़ा। रोहतक ने कई बड़े स्वतंत्रता सेनानी भी दिए हैं।
हुड्डा ने बदली सूरत
पूर्व की हुड्डा सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान रोहतक शहर की सूरत बदली थी। शहर की अधिकांश सड़कों की चौड़ाई बढ़ाई गई। शहर के रिंग रोड के अलावा आउटर बाईपास बनाया गया। हालांकि भाजपा ने भी पिछले दस वर्षों में रोहतक शहर में कई विकास के कार्य करवाए। शहर के बीचों-बीच से गुजरने वाली रोहतक-पानीपत रेलवे लाइन की वजह से हर समय जाम की स्थिति रहती थी। रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रयासों से रोहतक में रेलवे का बाईपास मंजूर हो गया था लेकिन भाजपा सरकार ने इस प्रोजेक्ट को रद्द करवा दिया। इसके बदले रेलवे लाइन को ही ऊपर उठाया गया। रोहतक में देश का पहला रेलवे एलिवेटेड ट्रैक बनाया गया। इसके बाद पांच-छह सड़कों से फाटक हट गए। इसी तरह अम्बेडकर चौक से ओल्ड बस अड्डा तक बने एलिवेटेड फ्लाईओवर का श्रेय भी भाजपा के मनीष ग्रोवर को जाता है।