जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 18 सितंबर
हरियाणा सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए बेशक धान की खरीद 23 सितंबर से करने का निर्णय लिया है लेकिन इस बार फिर से धान खरीद सीजन के शुरूआत से पहले ही ग्रहण लग गया है। मिलरों ने मांगें नहीं माने जाने पर इस बार मिलिंग नहीं करने की चेतावनी सरकार को दे दी है। ऐसे में मंडियों में आने वाले धान को रखने की सबसे बड़ी समस्या आने वाली है। इस स्थिति को लेकर किसान, आढ़ती और धान सीजन से जुड़े सभी वर्ग हैरान परेशान हैं। गत सीजन में जिला में धान की आवक 6118641 क्विंटल रही। इस बार कुदरत के मेहरबान रहने से खेतों में धान पककर तैयार खड़ा है और किसान सरकारी खरीद का इंतजार का रहे हैं। चुनावों की गर्मागर्मी के बीच मिलरों और सरकार के बीच की लक्षमण रेखा आचार संहित के कारण फिलहाल समाप्त होती भी नजर नहीं आ रही है। मतदान से पूर्व यह बड़ा चुनावी मुद्दा भी बन सकता है।
अम्बाला राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव गर्ग और महासचिव गौरव गर्ग की माने तो नीति और समझौते के अनुसार विभिन्न मदों के भुगतान को सीएमआर नीति खरीफ विपणन सीजन (केएमएस 2024-25) में निर्धारित किया जाना चाहिए। आने वाले सीजन के लिए कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) को सुचारू रूप से चलाने के लिए चावल के भंडारण की आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। विंग्स ऐप में संशोधन किया जाए और मिलर्स द्वारा सीएमआर चावल को निकटतम गोदाम तक पहुंचाने का प्रावधान होना चाहिए। धान के लिए उपयोग किए गए बारदाना पर मूल्य ह्रास के कारण 14.49 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान खरीद जमा किए बिना किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चावल मिल मालिकों को 1 प्रतिशत का ड्राइज भुगतान किया जाए। स्टॉक आर्टिकल्स यानी लकड़ी के बक्से और पॉली कवर आदि की व्यवस्था के संबंध में उपयोगकर्ता शुल्क, किराए के भुगतान का भुगतान चावल मिल मालिकों को किया जाए। मंडी से चावल मिलों तक धान की ढुलाई का भुगतान सीधे चावल मिलर्स को किया जाना चाहिए। धान के संकर बीज के कारण पैदावार का निर्धारण 67 प्रतिशत के बजाय 62 प्रतिशत किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस संबंध में एसोसिएशन बाकायदा उपायुक्त एवं जिला सह.अध्यक्ष जिला मिलिंग समिति को भी मांग पत्र काफी पहले सौंप चुकी है। यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो चावल मिल मालिक केएमएस 2024-25 के दौरान सीएमआर जारी रखने की स्थिति में नहीं होंगे, मिलर कोई एग्रीमेंट भी नही करेगे।
खरीद एजेंसियों ने नहीं दिया बारदाना: दानीपुर
जिला आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान दूनी चंद दानीपुर के अनुसार खरीद एजेंसियों ने अभी तक बारदाना नहीं दिया है। मंडियों में आने वाले धान को बोरियों में ही भंडार करके रखा जा सकता है। सरकारी खरीद एजेंसियों के पास बड़ी भारी मात्रा में आने वाले धान को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे में सब कुछ अव्यवस्थित होकर रह गया है।
तकरार का किसानों पर प्रभाव न पड़े:जलबेड़ा
भारतीय किसान मजदूर यूनियन (सुरेश कोथ) के जिला प्रधान सुखविद्र सिंह जलबेड़ा के अनुसार धान की फसल एकदम तैयार है और किसान 23 सितंबर से खरीद शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। मिलर्स और सरकार के बीच की तकरार का किसानों पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।