होडल, 3 जून (निस)
होडल के समीप स्थित प्राचीन व ऐतिहासिक वांसवा-शेषसाई मंदिर में आज एकादशी पर हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर भगवान का आशीर्वाद लिया। शेषसाई मंदिर का वर्णन ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में भी आता है। ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की यहां भारी भीड़ लगी रहती है।
इस मंदिर के साथ पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भक्त राघव व रामदास प्रत्येक एकादशी पर व्रत रखते थे तथा भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए जगन्नाथ जी पैदल जाते थे। एक बार जब वे दर्शन करने के लिए जा रहे थे तो रास्ते में उनके पैरों में छाले पड़ गए। वे एक पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगे तथा रोते-रोते उन्हें नींद ने आ घेरा। भगवान जगन्नाथ ने उन्हें सपने में दर्शन देकर कहा कि वह शेषसाई स्थित क्षीर सागर तालाब में मूर्ति के रूप में विराजमान हैं तथा वहां पर उनकी प्रतिमा को निकाल कर एक मंदिर का निर्माण करने पर जया एकादशी को वह स्वयं दर्शन देने शेषसाई मंदिर में आया करेंगे। उन्होंने अपने सपने के बारे में जब गांव में बताया तो गांववासियों द्वारा क्षीर सागर में खुदाई करने पर उसमें से भगवान जगन्नाथ की शेषशैया पर लेटी प्रतिमा जगन्नाथ भगवान के रूप में प्रकट हुई। गांववासियों ने क्षीर सागर के पास ही एक मंदिर का निर्माण कर प्रतिमा को वहां स्थापित कर दिया। इनको भगवान जगन्नाथ के छोटे भाई लक्ष्मीनारायण के रूप में पूजा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि शेषसाई मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के दर्शन करने से भारी पुण्य का लाभ मिलता है। मंदिर में दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के हजारों श्रद्धालुओं ने सुबह क्षीर सागर तालाब में नहाकर सुबह चार बजे से मंगला आरती के दर्शन किए।