अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 17 सितंबर
हाईकोर्ट के आदेशों को भी धत्ता बताते हुए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा बरसों से कॉलेजों में लगे एक्सटेंशन लेक्चरर को हटाया जा रहा है। जिसे लेकर एक्सटेंशन लेक्चरर में भारी रोष है और उनके समक्ष बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश के लगभग 180 सरकारी कॉलेजों में हजारों एक्सटेंशन लेक्चरर कार्यरत हैं। इन्हें यूजीसी की गाइडलाइंस के अनुसार नौकरी में रखा गया था। कई एक्सटेंशन लेक्चरर तो पिछले दस वर्ष से अधिक समय से सेवाएं दे रहे हैं। 4 मार्च, 2020 को हरियाणा उच्च शिक्षा विभाग ने एक नया फरमान जारी किया है जिसके तहत कहा गया कि नए दिशा निर्देश के अनुरूप एक्सटेंशन लेक्चरर नियुक्त किये जाएंगे जबकि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट समय समय पर एक्सटेंशन लेक्चरर को लेकर आदेश देता रहा है।
इन आदेशों में स्पष्ट कहा गया है कि यूजीसी के तय मानकों की जिस प्रार्थी के स्नातकोत्तर कक्षा में 55 प्रतिशत से अधिक अंक, नेट अथवा पीएचडी व वर्कलोड के अनुरूप सीटें खाली हों तो उन्हें रखा जा सकता है। यह भी कहा गया है कि बिना नेट व पीएचडी क्वालीफाई एक्सटेंशन लेक्चरर को तब तक न हटाया जाए जब तक सम्बंधित कॉलेज में वर्कलोड के अनुरूप पद रिक्त हों। उच्च शिक्षा विभाग की नयी गाइडलाइंस के बाद कुछ एक्सटेंशन लेक्चरर ने एक बार फिर से न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने अपने 16 जुलाई 2020 के ताजा आदेश में स्पष्ट कहा है कि वरीयता के अनुरूप नेट व पीएचडी को नौकरी में बनाए रखा जाए और साथ ही वर्कलोड होने पर बिना नेट व पीएचडी की यथास्थिति रखी जाए। अपने 23 जुलाई 2020 के एक अन्य आदेश में हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर एक्सटेंशन लेक्चरर की सेवाएं समाप्त करनी हैं तो उसे तथा विभाग के अधिकारिक पोर्टल पर वर्कलोड की सूचना दी जाए।
‘समान कार्य समान वेतन’ भी भेदभावपूर्ण
एक्सटेंशन लेक्चरर का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा एक्सटेंशन लेक्चरर को भी दो कैटगरी में बांटा गया है। जो लोग नेट व पीएचडी हैं उन्हें 57 हजार रुपए प्रति माह व बिना पीएचडी व नेट को 37 हजार रुपए प्रति माह दिया जा रहा है जो कि सर्वोच्च न्यायालय के समान कार्य समान वेतन के सिद्धांत के खिलाफ है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मामले में हस्तक्षेप कर नौकरी सुरक्षित करवाने की मांग की है।
क्या कहते हैं अधिकारी
राजकीय महिला महाविद्यालय भिवानी के प्राचार्य सुधीर शर्मा का कहना है कि न्यायालय से संरक्षण प्राप्त किसी भी एक्सटेंशन लेक्चरर को हटाया नहीं गया है। उच्च शिक्षा विभाग निदेशालय के स्पीकिंग आदेशों व सरकार द्वारा 4 मार्च 2020 को जारी नयी गाइडलाइंस के अनुरूप ही कार्रवाई की गई है। न्यायालय में एक बार फिर से 18 सितंबर को सुनवाई है जो भी हाईकोर्ट का फैसला होगा, उसे माना जाएगा।