पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 20 फरवरी
महापंचायत के चक्कर में सीमाओं पर लगे धरनों पर कम हो रही किसानों की संख्या को लेकर नेताओं में तकरार तेज हो गई है। जहां भाकियू नेता राकेश टिकैत महापंचायतों को आगे बढ़ा रहे हैं, वहीं पंजाब और हरियाणा के किसान नेताओं ने इनसे किनारा करने का आह्वान कर रखा है। इनका तर्क यह है कि दोनों प्रदेशों में किसानों में आंदोलन की मजबूत पकड़ है, ऐसे में यहां की बजाए अन्य राज्यों में महापंचायत की जाए, लेकिन इसके बावजूद 22 को कुंडली बॉर्डर के साथ लगते सोनीपत के खरखौदा में ही महापंचायत हो रही है। ट्रैक्टर परेड के दौरान बवाल होने के बाद टूटते आंदोलन को जिन किसान पंचायतों से नई ताकत मिली थी, अब उन्हीं महापंचायतों को लेकर ही हरियाणा, यूपी व पंजाब के नेताओं में खींचतान शुरू हो गई है। हरियाणा में सबसे ज्यादा महापंचायत हो रही है, वहां प्रदेश के किसान नेताओं की जगह राकेश टिकैत को अधिक तवज्जो मिल रही है। टिकैत की यह मजबूती ही हरियाणा व पंजाब के किसान नेताओं को अखरने लगी है।
पंजाब के किसानों ने तीन दिन पहले अपील करते हुए कहा था कि पंजाब में महापंचायतों की जरूरत नहीं है और अब पंजाब के नेता महापंचायत नहीं करेंगे, लेकिन इसके बावजूद शनिवार को चंडीगढ़ में महापंचायत की गई है। इस तरह गुरनाम सिंह चढूनी ने शुक्रवार को हरियाणा में महापंचायतों की जरूरत नहीं होने की बात कही थी और महापंचायत नहीं करने की अपील की गई थी। इसके बावजूद खरखौदा में 22 फरवरी को महापंचायत रखी गई है।
बॉर्डर से चले आंदोलन : चढ़ूनी
भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी कहते हैं कि अब हरियाणा में महापंचायतों की जरूरत नहीं है, बल्कि इनकी जगह ज्यादा से ज्यादा किसानों को बॉर्डर पर पहुंचना चाहिए। इन महापंचायतों को केवल संदेश देने के लिए शुरू किया गया था कि सरकार तानाशाही कर रही है और किसानों की समस्या का हल नहीं कर रही है। अब बॉर्डर से आंदोलन को चलाया जाए व हरियाणा से बाहर पंचायत की जाए।
किसान खुद कर रहे महापंचायत : टिकैत
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि महापंचायत कोई किसान नेता नहीं करा रहा है, बल्कि किसान खुद यह महापंचायत करा रहे हैं। कोई महापंचायत तय कर देता है और उनमें हमें बुलाता है, तो वहां जाना जरूरी है। इन महापंचायतों से सरकार को पता चल रहा है कि किस तरह से किसान इन कृषि कानूनों के विरोध में खड़े है। जहां भी महापंचायत होती है, हम वहां जाते हैं।