नरेंद्र ख्यालिया/निस
हिसार, 18 जुलाई
प्रदेश के 172 सरकारी कॉलेजों में नियमित शिक्षकों के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े है। सरकारी कॉलेजों में करीब 5 लाख विद्यार्थी अपना भविष्य संवारने आते हैं, लेकिन कॉलेजों में लेक्चरर्स की कमी उनकी शिक्षा में रोड़ा बन रही है। डायरेक्टर हॉयर एजुकेशन के अनुसार इन कॉलेजों के लिए 7559 (वर्कलोड) शिक्षकों की आवश्यकता है, लेकिन मौजूदा समय में 5068 स्वीकृत किए हुए हैं। इनमें से भी केवल 3647 शिक्षक ही कॉलेजों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वर्कलोड के हिसाब से प्रदेश के कॉलेजों में 52 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है। इसके अलावा 172 में से 100 कॉलेजों में तो प्रिंसिपल के पद ही खाली पड़े हुए हैं। महेंद्रगढ़ के 15 सरकारी कॉलेजों में से एक ही कॉलेज में प्रिंसिपल है। जल्द ही इन पदों को नहीं भरा गया तो हरियाणा में शिक्षा की गाड़ी पटरी से उतर सकती है।
हालांकि काम चलाने के लिए कॉलेजों में लगभग 1984 एक्सटेंशन शिक्षकों को भी रखा हुआ है, लेकिन शिक्षाविद मानते हैं कि जब तक नियमित भर्ती नहीं होती, शिक्षा की गाड़ी पटरी पर नहीं आ सकती। हैरानी की बात यह है कि प्रदेश के कॉलेजों में लगभग 259 नॉट इलीजिबल एक्सटेंशन (पढ़ाने के लायक नहीं) शिक्षक भी काम कर रहे हैं।
मैनेजमेंट विषय की स्थिति चिंताजनक : इसी प्रकार से मैनेजमेंट विषय की स्थिति भी बेहद चिंताजनक बताई जा रही है। इसके लिए 6 स्वीकृत पदों के विपरीत 21 पदों का वर्कलोड बनता है, जबकि एक भी नियमित शिक्षक इस विषय का नहीं है। ऐसे में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। गवर्नमेंट कॉलेजों से मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों से कैसी उम्मीद हो सकती है। इसी प्रकार के अन्य विषय भी सूची में शामिल हैं।
बढ़ाने की बजाय घटा दिया वर्कलोड
नियमित और एक्सटेंशन लेक्चरर से मिली जानकारी के अनुसार नई नीति के तहत डायरेक्टर हायर एजुकेशन (डीएचई) ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के पैट्रन को मानते हुए कई महत्वपूर्ण विषयों के वर्कलोड को कम कर दिया है, जबकि छात्र संख्या में कोई कमी नहीं आई है। गवर्नमेंट पीजी कॉलेज हिसार में केमिस्ट्री का वर्कलोड छात्र संख्या के आधार पर 19 बनता है, जिसको घटाकर 16 कर दिया गया है। इसी प्रकार से हिंदी, भूगोल, मास कम्युनिकेशन, गणित, फिजिक्स व समाजशास्त्र सहित अन्य विषयों का वर्कलोड भी घटा दिया गया है।
ऐसे समझिये कैसे बढ़ रहा दबाव
हिसार गवर्नमेंट पीजी कॉलेज में छात्र संख्या में कोई कमी नहीं आई है। इस सत्र में कॉलेज की छात्र संख्या 5315 बताई गई है, जबकि अंग्रेजी के लिए छात्र संख्या के आधार पर 26 पदों का वर्कलोड बनता है, जबकि मात्र 14 स्वीकृत पद दिए गए हैं और मात्र 12 शिक्षक ही कार्यरत हैं, ऐसे में अकेले अंग्रेजी विषय के 14 पद वर्कलोड के आधार पर रिक्त हैं। इसी प्रकार से जूलॉजी, गणित, कॉमर्स, फिजिक्स व हिंदी विषयों के ही लगभग 109 पदों का वर्कलोड छात्र संख्या के आधार पर बनता है, लेकिन डीएचई द्वारा उक्त विषयों के लिए मात्र 63 पद स्वीकृत किए हैं, जबकि इन विषयों के लिए 61 शिक्षक ही कार्यरत हैं, ऐेसे में वर्कलोड के आधार पर संबंधित विषयों के लिए 48 पद खाली बताए गए हैं।
ऐसे में अंग्रेजी से कैसे पाएंगे पार
आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति अंग्रेजी विषय के लिए कॉलेजों में बनी हुई है, जिसके लिए वित्तविभाग द्वारा 625 पदों का स्वीकृत किया गया है, जबकि वर्कलोड 1039 शिक्षकों का छात्र संख्या के आधार पर बताया है। इसके विपरीत मात्र 434 नियमित शिक्षक ही कार्यरत हैं। इसके अनुसार गवर्नमेंट कॉलेजों में लगभग 600 के आसपास अंग्रेजी विषय के पद खाली हैं।
संसाधनों का अभाव, बढ़ा दी छात्र संख्या
शिक्षाविदों ने बताया कि विभिन्न विषयों में प्रयोग करने के लिए लैब में संसाधनों का भारी अभाव बना हुआ है। खासकर नए बनाए गए कॉलेजों में संसाधन न के बराबर हैं। ऐसे में भी डीएचई ने 15-15 बच्चों के समूहों के स्थान पर अब प्रेक्टिकल करने के लिए 23-23 बच्चों के समूह बनाने का नया फरमान जारी कर दिया है। ऐसे में न तो समय पर प्रयोग हो पाते हैं और न ही सभी बच्चे एक साथ विषय के बारे में अच्छे से समझ पाते हैं।
छात्र-शिक्षक अनुपात 80:1
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2009-10 में छात्र-शिक्षक अनुपात को 60:1 से बढ़ाकर 80:1 कर दिया था, जोकि बहुत ही निरर्थक फैसला साबित हुआ, क्योंकि पुराने कॉलेजों के क्लासरूम बहुत ही छोटे हैं और इनमें 60 बच्चे बिठा पाना भी बड़ा मुश्किल हो जाता है। खासकर कोरोना महामारी जैसे विकट समय में तो स्थिति और भी विकट हो जाती है। बताया गया है कि उस समय शिक्षकों की मांग को इस मामले में सुना गया था और विश्वास दिलाया गया था कि नई भर्ती होने पर इस अनुपात को फिर से 60:1 कर दिया जाएगा, किंतु आज स्थिति और भी विकट होती जा रही है, क्योंकि गवर्नमेंट कॉलेजों में छात्र संख्या बहुत बढ़ी है।
सरकार करे स्थाई समाधान
एक्सटेंशन लेक्चरर के जिला अध्यक्ष डॉ. दुष्यंत अग्रोहिया ने कहा कि कॉलेजों के लिए आए दिन नए नियम लागू किए जा रहे हैं, जिससे मुख्य रूप से वर्कलोड की समस्या बनी रहती है। इसके संबंध में डायरेक्टर हॉयर एजुकेशन के अधिकारियों से बैठक प्रस्तावित थी, लेकिन हो नहीं पाई। उन्होंने बताया कि छात्र संख्या कम हुई नहीं है, जबकि पदों को घटाया जाता रहता है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि कॉलेजों में कार्यरत एक्टेंशन लेक्चरर को सरकार नियमित करते हुए स्थाई समाधान करे।
अधिकारी नहीं देते सही रिपोर्ट
राजकीय कॉलेज शिक्षक एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र सिवाच शक्ति ने बताया कि कॉलेजों में आधे से ज्यादा नियमित शिक्षकों के पद खाली हैं। वर्कलोड भी विभाग द्वारा गलत आंका गया है, इससे ज्यादा पद बनते हैं। उन्होंने कहा कि यह सब अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है। सरकार द्वारा सुझाए गए सही रास्ते को हायर एजुकेशन के अधिकारी मानते नहीं है। उलटा अधिकारी सरकार को गलत आंकड़े देकर गुमराह करते रहते हैं।
मानकों को किया जाए पूरा
गवर्नमेंट कॉलेज सिवानी के प्राचार्य राजकुमार ख्यालिया ने कहा कि अच्छी पढ़ाई के लिए शिक्षकों की भर्ती, संसाधनों की उपलब्धतता, कमरों और लैब की व्यवस्था यूजीसी के मानकों के आधार पर की जानी चाहिए। हरियाणा के कॉलेज में वर्कलोड बड़ा है, जिसके चलते नई भर्ती की जानी है।
नौकरी जाने का सताता है डर
गवर्नमेंट कॉलेजों में काम करने वाले एक्सटेंशन लेक्चरर ने बताया कि आए दिन डर रहता है कि उनके स्थान पर कोई नियमित शिक्षक आने वाला है, जिससे उनकी नौकरी पर खतरे के बादल मंडराते रहते हैं। इसी प्रकार से इन शिक्षकों को वर्कलोड कम होने का भय भी तंग करता है और दोनों ही अवस्थाओं में इनको दूसरी जगह एडजेस्ट करने के स्थान पर सीधा घर का रास्ता दिखाया जाता है। शिक्षाविदों ने बताया कि कहने को तो शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए कॉलेजों में एक्सटेंशन लेक्चरर विभिन्न विषयों के लिए भर्ती किए गए हैं, लेकिन विद्यार्थी एक्सटेंशन लेक्चरर की कोई परवाह नहीं करते हैं, जिसका खमियाजा इन कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है और बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित होती है।
‘अभी 3429 पद लेक्चरर के खाली हैं। कुछ पदों पर एक्सटेंशन लेक्चरर से काम चलाया जा रहा है। प्रिंसिपल की प्रमोशन पर स्टे हैं। एक मामला वीरेंद्र सिंह स्टेट वर्सिज हाई कोर्ट में लंबित है। जिसमें जिन लोगों ने केस किया है, उनकी पदोन्नति से प्रिंसिपल के पद भरे जा सकते हैं। इसके लिए वरिष्ठता सूची बनाई गई है। कोर्ट की अनुमति मिलते ही प्रिंसिपल के पद भरे जाएंगे। जो अन्य पद खाली है, उसके लिए फाइनेंस विभाग को केस बनाकर भेजा गया है। जल्द फाइनेंस विभाग से स्वीकृति मिलने पर खाली पदों को भरा जाएगा।’
-कंवर पाल गुर्जर, शिक्षा मंत्री