अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 13 मई
कोरोना महामारी ने जहां आमजन को बदहवास स्थिति में पहुंचा दिया है, वहीं विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा पीड़ित लोगोंं के लिए शुरू की गई हैल्पलाइन दूसरों की मदद करने में असहाय बनी हुई है। इनके बेबस जनप्रतिनिधि कोरोना पीड़ितों की कोई खास मदद नहीं कर पा रहे हैं।
भाजपा, कांग्रेस व जजपा द्वारा स्थापित की गयी हैल्पलाइंस पर तैनात कार्यकर्ता केवल दूरभाष के नंबर मुहैया करवाते हैं या फिर थोड़ा बहुत खाने की व्यवस्था की जा सकती है, लेकिन अस्पतालों में दाखिला, आक्सीजन व जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्ध करवाना इनके बूते की भी बात दिखाई नहीं दे रही।
वहीं, सरकार द्वारा अस्पताल जीवनरक्षक दवाइयों, आक्सीजन मुहैया करवाने के लिए नम्बर तो जारी किये गए हैं, लेकिन उनसे भी हासिल कुछ नहीं हो रहा।
यहां तक कि स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सभी होम आईसोलेेशन मरीजों को दवाइयों की किट मुहैया करवाने के दावे भी फेल हो गए हैं। कहा गया था कि कोरोना पीड़ित होम आईसोलेशन मरीजों को प्रदान की जाने वाली किट में आक्सीमीटर व दवाइयों से लेकर आयुर्वेदिक काढा दिया जाएगा लेकिन 6 दिन बाद भी मरीजों को ये किट नहीं मिली हैं। ऐसे मेें होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों की दिक्कतें भी बढ़ रही हैं। इन मरीजों के परिजन पैसे अदा कर बड़ी मुश्किल से दवाइयां हासिल कर रहे हैं। सम्बंधित पार्टियों के हैल्पलाइन नंबरों पर बैठे युवकों से जब मांग की जाती हैं तो वो केवल एक के बाद एक दूरभाष के नम्बर दे देते हैं।
ग्रामीण इलाकों में ज्यादा परेशानी
सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण इलाकों के मरीजों को आने लगी है। ग्रामीण अंचल में तो निजी स्तर पर भी दवाइयां खरीद कर लाना, वह भी लॉकडाउन के दौरान, अपने आप में आफत बन गया है। गांव सेरला निवासी सुखबीर ने बताया कि उसकी बेटी को कोविड पॉजिटिव हुए 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार द्वारा दी जाने वाली किट तो दूर स्वास्थ्य विभाग का कोई कर्मचारी भी हालत पूछने नहीं आया। हारकर उन्होंने बीती रात उपायुक्त को अपनी आप बीती बताई, लेकिन शाम तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड मरीजों को दी जाने वाली किट में आयुर्वेदिक काढा देने की बात कही गई हैं, लेकिन आयुर्वेदिक विभाग के पास काढा ही नहीं है। मजेदार बात यह है कि सत्तापक्ष के नेता जो कि जोरशोर से हैल्पलाइन बनाने की बातें कर रहे हैं, उन्हीं नेताओं ने ट्विटर पर स्वास्थ विभाग में ठेके पर होने वाली तीन दर्जन नियुक्तियों की सिफारिशों पर सवाल उठाए हैं।
भाजपा
अपने मंडलाध्यक्ष की मदद तक नहीं कर पायी
भाजपा की हैल्पलाइन रात 10 बजे के बाद बंद हो जाती है। गत सप्ताह भाजपा के मंडलाध्यक्ष विनोद चावला की सास गम्भीर हालत में भिवानी के नागरिक अस्पताल लाया गया। हैल्पलाइन से मदद तो दूर पार्टी के पदाधिकारी स्वयं विनोद चावला की मदद नहीं कर पाए काफी जद्दोजहद के बाद भी दो घंटे न तो उन्हें आईसीयू बेड दिलवा पाए और न ही साधारण आक्सीजन बेड, इस दौरान पीड़िता ने दम तोड़ दिया। विनोद चावला ने तो स्वास्थ्य विभाग पर मरीजों की अनदेखी का खुला आरोप लगाया है और पार्टी नेतृत्व से भिवानी की मुख्य चिकित्सा अधिकारी के तबादले की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि जब हमारे जैसे लोगोंं की इतनी अनदेखी है तो आम आदमी की हालत का अंदाजा तो सहज ही लगाया जा सकता है।
जजपा
मास्क बांटने व खाना देने तक सीमित
जजपा द्वारा जारी हैल्पलाइन की भी स्थिति अलग नहीं है। पार्टी के हैल्पलाइन सदस्य सहायता मांगने पर हाथ पैर तो मारते हैं, लेकिन परिणाम कुछ नहीं। एक कोविड पीड़िता के बेटे ललित ने कहा कि जजपा हैल्पलाइन पर भी उन्हें न तो आक्सीजन मिली और न ही रेमडेसिविर इंजेक्शन, हां अस्पताल के नम्बर जरूर दे दिये गए। जजपा के ज्यादातर सदस्य मास्क बांटने व खाना मुहैया करवाने तक सीमित हैं।
कांग्रेस
खुद बीमार हैं हैल्पलाइन में बैठे सदस्य
कांग्रेस की हैल्पलाइन का भी कमोवेश यही हाल है। पार्टी ने हैल्पलाइन में जिन लोगोंं को शामिल किया है, उनमें से अधिकांश की तो उम्र ही 65 साल से ज्यादा है और कइयों को गम्भीर बीमारियां भी हैं, जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट कह रखा है कि 65 से अधिक उम्र के लोगों या फिर जिन्हें गम्भीर बीमारियां को आजकल घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। अस्पताल में अपनी मां का ईलाज करवा रहे दीपक ने बताया कि उनकी मां आईसीयू में जिन्दगी मौत से जूझ रही है तथा बीती रात उन्हें आक्सीजन देने वाले सिलेंडर का फ्लो मीटर खराब हो गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाथ खड़े करने के बाद उन्होंने कांग्रेस की हैल्पलाइन के पदाधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिये।