रोहतक, 1 मार्च (हप्र)
वैज्ञानिक शोध मानव कल्याण का रास्ता प्रशस्त करता है। आज जरूरत है कि शोधार्थी नवोन्मेषी तथा मानव कल्याणकारी शोध करें। शोध का अन्तर विषयक होना इसको समग्रता प्रदान करता है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने आज ये विचार मदवि के चौधरी रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनोमिक चेंज तथा फैकल्टी ऑफ फिजिकल साइंसेज एण्ड इंजीनियरिंग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शोध प्रविधि कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में अपने भाषण में साझा किए। कुलपति ने कहा कि महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में शोध कार्य को विशेष प्राथमिकता देते हुए गतिशील रिसर्च प्रोमोशन पॉलिसी बनाई गई है। शोधार्थियों के लिए बेस्ट थिसिस अवार्ड का प्रावधान किया गया है। कुलपति ने कहा कि बेहतरीन शोध के लिए ई-संसाधनों का उपयोग करें तथा अधिक से अधिक अध्ययन की प्रवृत्ति विकसित करें। रिसर्च में इंटर डिसीप्लीनरी तथा ट्रांस-डिसीप्लीनरी एप्रोच पर कुलपति ने विशेष बल दिया।
कार्यशाला के प्रारंभ में सीआरएसआई के निदेशक प्रो. इंद्रजीत सिंह ने स्वागत भाषण दिया। कार्यशाला के संयोजक, फैकल्टी ऑफ फिजीकल साइंसेज के डीन प्रो. एएस मान ने कार्यशाला की विषय वस्तु पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।
इन्होंने दिये व्याख्यान
प्रतिष्ठित रसायनशास्त्री तथा पीडीएम यूनिवर्सिटी, बहादुरगढ़ के कुलपति प्रो. एके बख्शी ने 21वीं सदी में भारत में वैज्ञानिक उत्कृष्टता विषय पर व्याख्यान दिया। 5 मार्च तक ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की जाने वाली इस शोध कार्यशाला में आज आईआईटी मद्रास के रसायनशास्त्र के प्रोफेसर डा. रमेश गरदस ने वैज्ञानिक साहित्य खोज विषय पर तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग के पूर्व डीन तथा विभागाध्यक्ष प्रो. पीएस ग्रोवर ने फास्टरिंग हॉयर लेवल थिंकिंग स्किल्ज थ्रू प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग विष पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला समन्वयक तथा कंप्यूटर साइंस एंड एप्लीकेशन्ज विभागाध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र सिंह छिल्लर रहे तथा ऑनलाइन संचालन प्राध्यापिका डा. एकता नरवाल ने किया।